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मंडी पठानकोट प्रस्तावित फोरलेन की बुर्जियों पर ब्यास ने फेरा पानी

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बिंदरावणी में प्रस्तावित जंक्शन का फ्लड जोन में कर दिया सर्वे

मंडी: ब्यास नदी में आई भयंकर बाढ़ ने सरकार के कई कामों की पोल खोल कर रख दी। खासकर एनएचएआई द्वारा किए जा रहे फोरलेन के काम को तो व्यास ने एक तरह से फेल ही करार दे दिया। यही नहीं व्यास नदी ने जो चेतावनी दी है, उसने जो अपनी सीमा रेखा बांधी है वह कोई नई नहीं है इससे पहले भी कई बार इस नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाया है मगर धरातल की सच्चाई को नजरअंदाज करके किए जा रहे निर्माण के कारण ही यह सब तबाही हुई है।

फ्लड जोन में फोरलेन का निर्माण कुल्लू से मनाली तक कैसे हो गया, अब वह सडक़ कहीं नजर नहीं आ रही , यह सब इस मार्ग की डीपीआर या यूं कहें कि अलाइनमेंट करने वालों के लिए एक सबक है, चुनौती है। अब कीरतपुर से मनाली फोरलेन का जो हिस्सा मंडी से मनाली तक व्यास नदी के साथ साथ जाता है, उसे तो नदी ने अपनी हद बांध कर एक संदेश दे दिया है मगर लगता है कि अब पठानकोट से मंडी आ रही फोरलेन को लेकर भी कोई सबक एनएचएआई की अलाइनमेंट करने वालों ने नहीं लिया है।

प्रस्तावित निर्माण में मंडी के शिल्हाकीपड़ मुहाल बिंदरावणी में जहां कीरतपुर मनाली व पठानकोट मनाली मार्ग मिलने है वहां पर जो जंक्शन बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण करने की अधिसूचना जारी हुई है उसके अनुसार 26 सालों से चल रही हिमाचल दर्शन फोटो गैलरी की समूची जमीन का अधिग्रहण किया जाना भी शामिल किया गया है। इसके लिए एनएचएआई ने अधिसूचना से आठ दिन पहले ही फोटो गैलरी जिसे कीरतपुर मनाली फोरलेन के लिए भी 2018 में तोड़ा गया था, के पांच साल के अथक प्रयासों से बनाए गए अद्भुत भवन के पीछे अपनी बुर्जियां लगाकर दहशत पैदा कर दी थी।

अब 9 व 10 जुलाई को जब व्यास नदी अपने पूरे यौवन पर आई तो इसका पानी बुर्जियों से दस फीट उपर से होता हुआ गुजरा। यही नहीं पानी उतरा तो यह बुर्जियां पानी के साथ आई सिल्ट के नीचे दब चुकी थी। ऐसे में फ्लड जोन में ही निर्माण करना कितना तर्कसंगत है और यदि इसकी अलाइनमेंट का बदला नहीं जाता है तो आने वाले दिनों में कितना भयंकर नुकसान हो सकता है यह देखने वाली बात होगी। अब तो व्यास नदी ने मनाली से लेकर मंडी तक अपनी निशानदेही कर दी है मगर यदि फिर भी सरकारी एजेंसी निर्माण करती बार इसका पालन नहीं करेंगी तो यह अपने आप में कई सवाल खड़े करेगा।

हिमाचल दर्शन फोटो गैलरी के संस्थापक बीरबल शर्मा बताते हैं कि वह पिछले 60 दिनों से इस गैलरी को उनकी नजर में गलत की गई अलाइनमेंट से बाहर करने की गुहार हर संबंधित विभाग, नेता व सरकार से कर चुके हैं। कई तथ्य इस बारे में एनएचएआई के सामने रखे जा चुके हैं मगर कोई सुनने को तैयार ही नहीं। अब उनका कहना है कि व्यास नदी ने स्वयं इस बारे में संदेश दे दिया है कि अलाइनमेंट सही नहीं है और फ्लड जोन में है। ऐसे में तो एनएचएआई की आंखें खुल जानी चाहिए और सडक़ या जंक्शन जो भी यहां बनना है उसे सुरक्षित जगह से बनाया जाना चाहिए।