मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में पेड़ों के अवैध कटान पर 'समाचार फर्स्ट' के ख़बर का असर देखा जा रहा है। ख़बर चलने के अगले ही दिन प्रशासन हरकत में आ गया है। शुक्रवार को थुनाग में जहां पेड़ों की अवैध फेल्लिंग की जा रही थी, उसे प्रशासन ने रोक दिया है और मौके पर एक फॉरेस्ट गार्ड की तैनाती कर दी गई है।
इलाके के वन अधिकारी एलसी ठाकुर ने समाचार फर्स्ट को पेड़ों के कटान रोके जाने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि वन विभाग ने देवदार के 28 ठूंठ बरामद किए हैं।
गुरुवार शाम समाचार फर्स्ट ने थुनाग के रेस्टहाउस के पास पेड़ों के कटान का मामला उठाया था। हमने बताया था कि कैसे स्थानीय प्रशासन अवैध पेड़ों के कटान पर आंखें मूंदे हुए है। लेकिन, ख़बर चलने के बाद प्रशासन की नींद खुली और आनन-फानन में वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई। वन विभाग की टीम ने मौके पर पेड़ों की कटाई की पूरी वीडियोग्राफी भी की। वीडियो बनता देख अवैध कटान में संलिप्त कई लोग मौके से खिसक लिए।
ये थी कल की ख़बर : मुख्यमंत्री के क्षेत्र में पेड़ों का अवैध कटान, थुनाग में कुंभकरण बना वन विभाग
अब सिली बागी में अवैध फेल्लिंग की ख़बर
थुनाग में अवैध ढंग से पेड़ों को काटने का मसला भले ही फिलहाल थम गया हो, लेकिन समाचार फर्स्ट को मिली जानकारी के मुताबिक सिराज विधानसभा के सिली बागी में भी भारी संख्या में अवैध ढंग से पेड़ कांटे जा रहे हैं। स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यहां पर स्वास्थ्य केंद्र बनाने के नाम पर सैंकड़ों पेड़ काट दिए गए हैं।
हालांकि, इस संबंध में सिली बागी की प्रधान ठाकरी देवी ने समाचार फर्स्ट को टेलिफोन पर दिए जवाब में सैंकड़ों पेड़ काटे जाने की घटना से इनकार किया है। ठाकरी देवी ने यह जरूर माना है कि इलाके में देवता के स्थान पर कुछ पेड़ जरूर काटे गए हैं। लेकिन, बाकी मामले में यह सिर्फ अफवाह है।
वहीं, फॉरेस्ट अधिकारी एलसी ठाकुर ने समाचार फर्स्ट को भरोसा दिया है कि अगर वनो का अवैध कटान हो रहा होगा, तो तुंरत कार्रवाई की जाएगी।
क्या वन माफिया सिराज में हैं सक्रिय?
वृक्षों के अवैध कटान को लेकर अब शक गहराने लगा है कि कहीं सिराज में वन माफिया तो सक्रिय नहीं हैं। क्योंकि, मौके से सबूत हाथ लगें हैं, उसमें प्रायोजित और संगठित तरीके से पेड़ों के कटान का मामला दिखाई दे रहा है। हालांकि, यहां बीजपी का एक पक्ष विकास के नजरिए से पेड़ों के कटान को जरूरी बता रहा है, वहीं विपक्षी दल इस मामले में सरकार को घेर रहा है। स्थानीय कांग्रेस का आरोप है कि इलाके में विकास के बहाने वन माफिया अपना हित साध रहे हैं।
कांग्रेस का कहना है कि इस प्रकरण में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को खुद आगे आना चाहिए और स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए। उन्हें वन काटुओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
इस मामले में नाम नहीं बताए जाने की शर्त पर एक वन कर्मचारी ने बताया कि इलाके में बिना रोकटोक लोग पेड़ काट ले जाते हैं। कई ऐसे मामले में हैं, जिनमें डिपार्मेंट कार्रवाई करने से खुद ही बचता है।
वन कटान पर क्यों है कन्फ्यूज़न?
स्थानीय लोगों के पक्ष भी बंटे हुए हैं। कुछ लोगों का कहना है कि इलाके में जंगल काफी घने हैं और भवन-निर्माण के कई काम इनकी वजह से रुके हैं। निजी निर्माण को लेकर भी कई अड़चनें आ जाती हैं। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि इलाके वन-माफिया सक्रिय हैं, जो निर्माण-कार्य के नाम पर बहुमूल्य पेड़ों की धड़ल्ले से कटाई कर ले जाते हैं। कई मामलों में मोटे लाभ के लिए काफी हद तक लोकल तत्व सक्रिय हैं।