नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सदन में कहा कि जिन्होंने अपनी जान को ख़तरे में डालकर कोरोना पीड़ितों की सेवा की, छह महीनें से उनका वेतन नहीं दिया गया हैं। इस महीनें उन सबकी सेवा ख़त्म करने का नोटिस दे दिया गया है। सरकार हर मुद्दे पर झूठ बोल रही है। सदन में भी सही जवाब नहीं दे रही है। हर दिन विधान सभा के बाहर लोग अपनी मांगे लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। लोग सड़क पर धरना दे रहे हैं। मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि सब सही है लेकिन सब सही नहीं हैं। यह सरकार पूरी तरह से फेल हैं। जनहित के मुद्दे सरकार की प्राथमिकता में ही नहीं हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सड़क पर धरना दे रहे लोग बता रहे हैं कि सरकार से जनता का भरोसा उठ गया है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि दस महीनें में ही लोग सड़कों पर आ गये हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। दस महीनें में ही प्रदेश के लोग सरकार के ख़िलाफ़ सड़कों पर आ गये हैं क्योंकि सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया है। भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी परीक्षा के परिणाम नहीं जारी किए जा रहे हैं। युवा आये दिन परिणाम घोषित करने की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने अब तक सिर्फ़ आश्वासन दिया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब हमें मौक़ा मिला तो हमने प्रदेश में किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित, किसी कारण से अशक्त हुए लोगों के लिए सहारा योजना लाई। उसके तहत तीन हज़ार रुपये की पेंशन दी जा रही थी। जिससे ऐसे लोगों की मदद हो जाए। अब मुझे उन लोगों के फ़ोन आते हैं कि पेंशन नहीं मिल रही है। यह ग़लत परंपरा हैं। ऐसी व्यवस्थाएं सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि यह समाज में ज़रूरतमंद लोगों के लिए चलाई गई योजना है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि लोक सभा और राज्य सभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम-2023 का पारित होना देश के लिए ऐतिहासिक क्षण हैं। इस उपलब्धि के लिए उन्होंने देश की मातृशक्ति समेत समस्त देशवासियों को शुभकामनाएं दी। नेता प्रतिपक्ष ने महिलाओं सशक्तिकरण के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाकर लंबे समय से की जा रही मांग को नारी शक्ति वंदन अधिनियम- 2023 के रूप में लोक सभा और राज्य सभा से पारित करवाने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह का विशेष आभार व्यक्त किया।
उन्होंने विधेयक को समर्थन देने के लिए संपूर्ण मंत्री परिषद और समस्त संसद सदस्यों का भी आभार व्यक्त किया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस क़ानून के कारण देश में मातृशक्ति का प्रतिनिधित्व और बढ़ेगा। देश के लिए नीति निर्धारण में मातृशक्ति का भूमिका बढ़ेगी। यह क़ानून आने वाले समय में हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को और सुदृढ़ करेगा।