गंगा ओैर यमुना को ‘जीवित मानव का दर्जा’ मिल गया है। ये आदेश उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले तौर पर दिया है। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की एक खंडपीठ ने अपने आदेश में दोनों पवित्र नदियों गंगा और यमुना के साथ एक ‘जीवित मानव’ की तरह व्यवहार करने के आदेश दिए हैं।
इस फैसले के आधार पर गंगा और यमुना को जीवित व्यक्तियों की तरह सभी कानूनी और संवैधानिक अधिकार मिल जाएंगे। इन्हें प्रदूषित करना जीवित इंसान को नुकसान पहुंचाने जैसा अपराध माना जाएगा। उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले से 5 दिन पहले ही न्यूजीलैंड ने दुनिया में पहली बार वाननुई नदी को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया था। नदी अपने प्रतिनिधियों के जरिए अपना पक्ष रख सकती है।
मोहम्मद सलीम की गंगा बचाओ मुहिम पर हाईकोर्ट की मुहर
उत्तराखंड निवासी मोहम्मद सलीम की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला दिया। इसके बाद अब गंगा और यमुना के नाम से याचिकाएं दाखिल की जा सकेंगी। कोर्ट ने केंद्र को दोनों नदियों की सफाई और प्रबंधन के लिए एक बोर्ड बनाने के लिए 8 सप्ताह का समय दिया है।
जनहित याचिका पर दिए इस आदेश में अदालत ने देहरादून के जिलाधिकारी को ढकरानी में गंगा की शक्ति नहर से अगले 72 घंटों में अतिक्रमण हटाने के भी आदेश दिए हैं और कहा है अगर इसका पालन नहीं हुआ तो उन्हें निलंबित कर दिया जाएगा।