बेटिया भी बेटों से कम नहीं है. कोई न कोई नई उपलब्धि हासिल कर अपने प्रदेश के साथ-साथ देश का भी नाम रोशन कर रही है जीहां ऐसा ही एक मामला हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर की लालीण पंचायत के छोटे से गांव बड्डू से सामने आया है. जहां की रहने वाली मोनिका शर्मा को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित संस्थान लेडी श्री राम कॉलेज फॉर वुमन में असिस्टेंट प्रोफेसर की उपलब्धि हासिल की है.
आपको बता दूं कि हमीरपुर जिले के छोटे से गांव बड्डू की रहने वाली मोनिका शर्मा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के एक प्रतिष्ठित संस्थान लेडी श्री राम कॉलेज फॉर विमेन में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में स्थायी नियुक्ति प्राप्त की है।
इस उपलब्धि से उनके माता-पिता, कैप्टन (सेवानिवृत्त) विजय कुमार शर्मा और माँ ममता शर्मा, बेहद खुश हैं. मोनिका शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देशभर में विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों से प्राप्त की. क्योंकि पिता भारतीय सेना में अपनी सेवाएँ दे रहे थे। बाद में उन्होंने स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई सरकारी विश्वविद्यालयों से की। अपनी उच्च शिक्षा के दौरान भी मोनिका ने हमेशा उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
वर्तमान में, मोनिका डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रही हैं. मोनिका के पिता कैप्टन (सेवानिवृत्त) विजय कुमार शर्मा हैं, जो सेना के शिक्षा कोर से जुड़े रहे हैं, और उनकी मां एक गृहिणी हैं। उन्होंने हमेशा मोनिका का समर्थन किया और उसे जीवन में मेहनत करने की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान किया। उनकी मां ममता शर्मा ने हमेशा परिवार को एकजुट रखा और मोनिका की पढ़ाई में मदद की।
उन्होंने अपने बच्चों में कभी लड़का और लड़की का भेदभाव नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप मोनिका और उनके छोटे भाई, दोनों ही अपने-अपने क्षेत्रों में अच्छा कर रहे हैं। मोनिका का छोटा भाई आर्किटेक्ट है और उसने हमेशा मोनिका का समर्थन किया है।
वहीं, मोनिका के पति ने भी यह साबित कर दिया है कि एक सपोर्टिव जीवनसाथी का होना किसी भी लड़की के लिए सबसे बड़ा सपना होता है। उन्होंने मोनिका की हर संभव मदद की और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया। मोनिका मानती हैं कि अगर एक लड़की शिक्षित होती है, तो वह पूरे परिवार को शिक्षित कर सकती है। इसलिए, लड़कियों की शिक्षा को हमेशा प्रोत्साहित करना चाहिए।
मोनिका शर्मा अब दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित संस्थान में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में अपने कार्यकाल की शुरुआत करेंगी। उनका उद्देश्य न केवल छात्रों को शिक्षित करना है, बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में भी जागरूक करना है।
मोनिका का मानना है कि शिक्षा का असली मकसद केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि छात्रों को एक बेहतर इंसान बनाना है। मोनिका शर्मा की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार और बड्डू गांव का नाम रोशन किया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि मेहनत, लगन और परिवार का समर्थन किसी भी व्यक्ति को उसकी मंजिल तक पहुंचा सकता है। उनकी सफलता उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में मेहनत कर रहे हैं।
मोनिका की कहानी सचमुच “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” के आदर्श को प्रमाणित करती है। उनकी सफलता इस बात का जीवंत उदाहरण है कि शिक्षा और समर्थन के माध्यम से बेटियाँ भी समाज में महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर सकती हैं। उनके परिवार ने न केवल उन्हें शिक्षित किया, बल्कि उनके सपनों को पूरा करने में भी उनकी पूरी मदद की, जिससे यह सिद्ध होता है कि बेटियों को उचित शिक्षा और समर्थन प्रदान करना कितनी अहम बात है।