Follow Us:

गणेश उत्‍सव के बाद क्‍या भगवान की छोटी मूर्तियों को दे सकते हैं पूजा घर में स्थान? जानें लाभ और दोष

|

Highlights

  • धार्मिक रूप से स्थापना की मूर्ति को निश्चित समय के बाद विसर्जित करना ही शुभ
  • अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो यह बन सकता है दोष का कारण भी

Ganesh Utsav 2024: 17 सितंबर को गणेश मूर्ति के विसर्जन के साथ गणेश उत्‍सव संपन्‍न होगा। मोहल्ले, इलाके और घर में गणपति की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, जिनकी धूम-धाम से पूजा अर्चना की जा रही है। अब कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि क्या छोटी गणेश मूर्तियों का विसर्जन करना जरूरी है? क्या उसे हमेशा के लिए घर में मंदिर में रखा जा सकता है। मंडी नगवाईं के ज्‍योतिषाचार्य मनोज शर्मा मानते हैं कि धार्मिक दृष्टिकोण से गणेश जी की मूर्ति की स्थापना एक निश्चित समय के लिए ही की जाती है। इसे विसर्जित करना जरूरी माना जाता है।

यदि गणेश जी की मूर्ति की धार्मिक रूप से स्थापना की गई है, तो उसे निश्चित समय के बाद विसर्जित करना ही शुभ माना जाता है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो यह दोष का कारण भी बन सकता है। वहीं अगर मूर्ति को केवल सामान्य पूजन के उद्देश्य से रखा गया है तो इसका विसर्जन नहीं किया जाता है। मनोज शर्मा के अनुसार गणेश विसर्जन की परंपरा सबसे पहले महाराष्ट्र में शुरू हुई थी। इसे एक लोक परंपरा माना जाता है, जिसके पीछे की वजह यह बताई गई है कि भगवान गणेश को “विघ्नहर्ता” कहा जाता है, जो सारे विघ्नों को हर लेते हैं। गणेश विसर्जन के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि भगवान गणेश सभी विघ्नों को नष्ट करके वापस अपने लोक में लौट रहे हैं।

क्या है इस गणेश उत्सव का इतिहास?
लोकमान्य तिलक ने साल 1893 में गणेशोत्सव को सार्वजनिक रूप से मनाने की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य समाज को एकजुट करना और ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों में जागरूक करना था। तब से ही यह परंपरा हर साल गणेशोत्सव के रूप में मनाई जाने लगी। धार्मिक दृष्टिकोण से यह मान्यता है कि गणेश जी कुछ समय के लिए धरती लोक पर आते हैं और फिर विसर्जन के साथ अपने लोक में वापस लौट जाते हैं।

विसर्जन के लिए धार्मिक प्रक्रिया
गणेश मूर्ति विसर्जन का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। दरअसल, पूजा पूरी होने के बाद भगवान गणेश को जल में विसर्जित कर दिया जाता है। यह जीवन के चक्र-प्रारंभ और अंत का प्रतीक है। गणेश जी का विसर्जन यह संदेश देता है कि संसार में हर वस्तु अस्थायी है, और अंततः हमें परमात्मा में ही विलीन होना है।