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‘समाचार फर्स्ट’ के न्यूज़रूम में आकर बीजेपी युवा नेता की धमकी, न्यूज़ हटाने का डाला दबाव

समाचार फर्स्ट डेस्क |

बीजेपी खुद को अनुशासित पार्टी करार देती है। लेकिन, इसके कार्यकर्ता और पदाधिकारियों का रौब देखना हो तो हिमाचल प्रदेश चले आइए। उदाहरण बाखूबी देखने को मिल जाएगा। यह जमात लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को भी डराने से नहीं चूक रही है। कौन सी ख़बर राइट या रॉन्ग है अब यह बीजेपी के लोग डिसाइड करने लगे हैं। मंगलवार की रात समाचार फर्स्ट ने बड़े क़रीब से इस पक्ष को महसूस किया।

मंगलवार देर शाम साढ़े 8 बजे 'समाचार फर्स्ट' के नगरोटा बगवां स्थित न्यूज़रूम में 5 की संख्या में युवा पहुंचे। इनमें से एक ने खुद का परिचय बीजेपी युवा मंडल का अध्यक्ष (नगरोटा) अमित कुमार के तौर पर दिया। इस दौरान सभी ने न्यूज़रूम में बैठे स्टाप को धमकी दी और ख़बरों के अपने मुताबिक लगाने पर जोर दिया। इनकी आपत्ति 16 अप्रैल को छपी एक एक्सिडेंट की एक खबर पर थी। इस एक्सिडेंट में नगरोटा बगवां डिग्री कॉलेज के एबीवीपी छात्र नेता की मौत हो गई थी। युवा नेता ने ख़बर में लिखे कंटेंट को लेकर आपत्ति जाहिर की।

खुद को युवा मंडल अध्यक्ष बताने वाले अमित कुमार का कहना था कि संबंधित ख़बर में 'समाचार फर्स्ट' ने सही नहीं लिखा है, बाकी अखबारों ने भी लिखा, लेकिन समाचार फर्स्ट ने कुछ ज्यादा ही लिख दिया है। उन्होंने संबंधित न्यूज़ को कवर करने वाले संवाददाता को भी देख लेने की धमकी दी।

पुरानी ख़बर का लिंक यहां हैं- दोस्त को देने गया था बधाई, लौटते वक़्त एक्सिडेंट का शिकार

हौसले इतने बुलंद कि ख़तरे में 'लोकतंत्र'

बीजेपी शासनकाल में क्या लोकतंत्र ख़तरे में है? यह सवाल अहम तब हो जाता है जब किसी अखबार को पार्टी विशेष के लोग मन-मुताबिक खबर लिखने का दबाव बनाने लगे। हिमाचल प्रदेश में लगातार बढ़ते क्राइम-रेट और माफियाओं के पसरते जाल किसी से छिपा नहीं है। समाचार फर्स्ट ने निर्भिक रिपोर्टिंग करते हुए खनन माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया और सरकार से लेकर प्रशासनिक अमले में बैठे लोगों की असलीयत उजागर करता रहा है। 'समाचार फर्स्ट' ने पूर्व की कांग्रेस सरकार को भी इन्हीं मुद्दों घेरा और डंटकर निष्पक्ष रिपोर्टिंग की। लेकिन, तब हमें किसी के द्वारा ख़बर को सही या गलत तरीके से लिखने का दबाव नहीं मिला। ऐसे में बीजेपी शासनकाल में ये कौन सी बयार चली है कि पार्टी के सदस्य सीधे न्यूज़रूम में घुस आते हैं और धमकी भरे लहजे में ख़बर बदलवाने लगते हैं।

हैरत होती है कि जिन लोगों ने 'इमरजेंसी' के दौर में पत्रकारिता के मूल्यों को बचाने के लिए संघर्ष किया, उन्हीं के गोत्र से निकली वर्तमान पीढ़ी तानाशाही नज़रिये को अपना आदर्श मान रही है।

संबंधि युवा मंडल अध्यक्ष पर कार्रवाई का भरोसा

इस मामले में समाचार फर्स्ट ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती और युवा मोर्चा के अध्यक्ष विशाल चौहान से संपर्क किया। इन लोगों का कहना है कि मामले में संबंधित शख्स की पड़ताल करेंगे। विशाल चौहान ने ख़बरों की स्वतंत्रता पर दबाव बनाने की घटना की निंदा की है।

'समाचार फर्स्ट' के पत्रकारों की सुरक्षा तय: पुलिस

कांगड़ा जिले के एएसपी दिनेश शर्मा ने घटना पर तुरंत कार्रवाई का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा कि संबंधित मामले में पुलिस की तरफ से कोई ढील नहीं है। मीडिया की स्वतंत्रता लोकतंत्र के लिए जरूरी है। उन्होंने समाचार फर्स्ट के पत्रकारों को सुरक्षा के लिहाज से चिंतित नहीं होने का भी आश्वासन दिया है।

इस बाबत समाचार फर्स्ट ने डीजीपी एसआर मरडी से भी बात करने की कोशिश की है, फिलहाल उनसे संपर्क नहीं हो पाया है।

मुख्यमंत्री जी! हमारी 'संप्रभुता' आपकी जिम्मेदारी है

समाचार फर्स्ट ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से भी संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन, फलिहाल वह चंडीगढ़ पहुंचे हैं और किसी कार्यक्रम में व्यस्त हैं। ऐसे में समाचार फर्स्ट उनसे अनुरोध करता है कि बतौर प्रदेश के मुखिया हमारी लोकतांत्रिक आजादी को वह सुनिश्चित करें। साथ ही प्रदेश में जिस धौंस के साथ सिस्टम से लेकर समाजिक गतिविधियों को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है, उस पर लगाम कसने का भरसक प्रयास करें।

समाचार फर्स्ट संविधान द्वारा दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी को सर्वोपरि मानता है। साथ ही साथ 'फंडामेंटल ड्यूटीज' को भी अपने प्रोफेशन में विशेष तरजीह देता है। ऐसे में अगर हमारी 'संप्रभुता' अगर ख़तरे में आती है, तो यह स्टेट के लिए बड़ा अघात साबित होगा। हालांकि, समाचार फर्स्ट बिना किसी दबाव में पत्रकारिता के शीर्ष मूल्यों और मापदंडों हर कीमत पर कायम रखेगा।