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क्षमता विकास कार्यशाला में लिया गया फैसला, देश भर के कामगारों की होगी रजिस्ट्रेशन

सुनील ठाकुर |

मजदूरों के हक के लिए अब राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आवाज उठने लगी है। मजदूरों को  राज्यों में गठित भवन सन्निर्माण एवं कामगार बोर्ड के तहत सुविधाएं दिलाई जाएंगी। सबसे पहले सभी छोटे बड़े प्रोजेक्टों में कार्यरत मजदूरों का पंजीकरण सुनिश्चित किया जाएगा। इसी कड़ी में बिलासपुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्तर की दो दिवसीय क्षमता विकास कार्यशाला भारत, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और मलेशिया के 24 प्रतिनिधियों ने इन मुद्दों पर चर्चा की गई।

यह कार्यशाला बिल्डिंग एवं वुड वर्कर्ज इंटरनेशनल और ऑल हिमाचल पीडब्ल्यूडी-आईपीएच एंड कांट्रैक्चुअल वर्कर्ज यूनियन के तत्त्वावधान में आयोजित की गई।

कार्यशाला में मुख्य चर्चा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों व प्रोजेक्टों में श्रम मानकों के पालन और मजदूरों को उचित काम एवं उत्कृष्ट श्रम कैसे प्राप्त हो, इस पर केंद्रित रही। प्रतिनिधियों ने बताया कि कीरतपुर-मनाली-नेरचौक परियोजना में सरकार एवं कंपनी के सहयोग से निर्माण श्रमिकों की दशा का जायजा लिया गया है। उन्होंने बताया कि बिल्डिंग एवं वुड वर्कस इंटरनेशनल निर्माण, निर्माण सामग्री और विभिन्न श्रमिक संगठनों का अंतरराष्ट्रीय संघ है, जिसमें 132 देशों से 350 श्रमिक संगठन जुडे़ हैं।

श्रमिक अधिकारों का हनन रोकने पर हुई गहन चर्चा

कार्यशाला में दक्षिण एशिया के उपस्थित प्रतिनिधियों ने ठेकेदारी प्रथा के मध्य श्रमिक अधिकारों का हनन रोकने पर भी गहन चर्चा की। इस कार्यशाला की मुख्य उपलब्धि रही कि वर्ल्ड बैंक और एशियन डिवेलपमेंट बैंक में शिकायत निवारण प्रक्रिया और जवाबदेही सुनिश्चित करने पर भी प्रशिक्षण दिया गया।

बीडब्ल्यूआई के महासचिव एंबेट यूसौन ने कहा कि वर्ल्ड बैंक और एशियन डिवेलपमेंट बैंक की पूर्ण जिम्मेदारी है कि जिस देश में भी परियोजना क्रियांवित हो, वहां न सिर्फ श्रम कानूनों का पालन हो, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मापदंड भी सुनिश्चित किए जाएं।