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धर्मशाला में “ठीक न होना भी ठीक है” अभियान से मानसिक स्वास्थ्य पर खुली चर्चा

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  • धर्मशाला में तीन दिवसीय “मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता शिविर” का आयोजन
  • कला के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य पर संवाद को सामान्य बनाने की पहल
  • भारत के प्रमुख कलाकार मानसिक स्वास्थ्य के कलंक को दूर करने के लिए एकजुट

धर्मशाला में तीन दिवसीय “मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता शिविर – ठीक न होना भी ठीक है” का आयोजन किया जा रहा है। यह शिविर कला के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक को समाप्त करने और इस मुद्दे पर खुले संवाद को बढ़ावा देने के लिए है। और एक ऐसा समावेशी वातावरण तैयार करना है जहां लोग बिना झिझक अपनी मानसिक समस्याओं के बारे में बात कर सकें।

पीपुल फॉर एक्शन द्वारा आयोजित इस जागरूकता अभियान में भारत के सबसे प्रतिष्ठित कलाकार भाग ले रहे हैं, जिनमें सुबोध गुप्ता, परेश मैती, जतिन दास, मोना राय, संजय भट्टाचार्य, राजेंद्र टिकू, नुपुर कुंडू, माया बर्मन, फरहाद हुसैन, विनीता करीम, स्वप्न भंडारी, असित कुमार पटनायक और ओइनम दिलीप शामिल हैं। यह सभी कलाकार धर्मशाला के इस मंच पर एकजुट होकर मानसिक स्वास्थ्य पर एक सकारात्मक संवाद को बढ़ावा देंगे।

शिविर में लाइव कला प्रदर्शनियां, कार्यशालाएं, माइंडफुलनेस सत्र और मानसिक स्वास्थ्य पर खुली चर्चा के कार्यक्रम होंगे। “कला की भाषा के माध्यम से जीवन को जोड़ना” इस अभियान का मुख्य संदेश है। आयोजकों का मानना है कि कला के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करने और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जा सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य की समस्या भारत में तेजी से बढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार, देश में लगभग 50 से 70 मिलियन लोग मानसिक विकारों से पीड़ित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत आत्महत्या की दर में विश्व में अग्रणी है। यहां हर साल 2.6 लाख से अधिक आत्महत्याएं दर्ज की जाती हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी और कलंक एक बड़ी बाधा बने हुए हैं।

पीपुल फॉर एक्शन की संस्थापक अफसाना चेरियन कपूर ने कहा, “यह अभियान मानसिक स्वास्थ्य पर कलंक को खत्म करने और संवाद को सामान्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। कला के माध्यम से लोग अपनी भावनाओं को सहजता से व्यक्त कर सकते हैं, और यही कला इस जागरूकता अभियान की धुरी है।”

नुपुर कुंडू, जो इस अभियान की कलाकार और क्यूरेटर हैं, ने कहा कि, “कला में जुड़ने, उपचार करने और प्रेरित करने की अनोखी क्षमता होती है। यह पहल मानसिक स्वास्थ्य पर खुली बातचीत को प्रोत्साहित करती है और यह संदेश देती है कि ‘ठीक न होना भी ठीक है।'”

इस अभियान के तहत कलाकार जतिन दास ने कहा कि “हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां पूर्णता की अपेक्षा की जाती है, लेकिन यह शिविर हमें अपूर्णता को स्वीकार करने और मानवता की खूबसूरती का जश्न मनाने का अवसर देता है।” वहीं, परेश मैती का मानना है कि “कला समाज में विभाजन को पाटने का माध्यम है और यह मानसिक स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील मुद्दे पर लोगों के बीच जागरूकता लाने में अहम भूमिका निभा सकती है।”

शिविर के दौरान लोगों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को समझने, सहानुभूति रखने और उन्हें हल करने के तरीके सिखाए जाएंगे। आयोजकों ने बताया कि यह कार्यक्रम केवल एक शिविर नहीं है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता का एक आंदोलन है जो देशभर में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में काम करेगा।

इस शिविर का विशेष संगीत मर्लिन डिसूजा द्वारा तैयार किया गया है, जो प्रसिद्ध संगीतकार और पियानोवादक हैं। उन्होंने कहा कि कला और संगीत का संयोजन लोगों के दिलों को जोड़ने और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालने में सहायक है।

पीपुल फॉर एक्शन एक गैर-लाभकारी संगठन है जो मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रभावशाली समाधान देने के लिए समर्पित है। इसकी पहल “नमाह” का उद्देश्य भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देना और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर संवाद को सामान्य बनाना है।

धर्मशाला में होने वाला यह तीन दिवसीय शिविर मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता बढ़ाने, कलंक को समाप्त करने और रचनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित किया जा रहा है। आयोजकों ने आम जनता से इस शिविर का हिस्सा बनने और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने में सहयोग देने की अपील की है।