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हिमाचल के तीन जिले बाढ़ के उच्च और चार जिले मध्यम जोखिम श्रेणी में
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सूखे के लिहाज से चार जिले उच्च और छह जिले मध्यम जोखिम श्रेणी में
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आईआईटी मंडी, गुवाहाटी और सीएसटीईपी बेंगलुरु ने तैयार की रिपोर्ट
Climate Risk Assessment Report: हिमाचल प्रदेश के जलवायु जोखिम को लेकर एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की गई है। “जिला स्तरीय जलवायु जोखिम आकलन” नामक इस रिपोर्ट को आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी मंडी और सीएसटीईपी बेंगलुरु के सहयोग से तैयार किया गया है। रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की गई, जिसमें जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न बाढ़ और सूखे के जोखिमों का विस्तृत आकलन किया गया है। कार्यक्रम के दौरान आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा समेत कई विशेषज्ञ उपस्थित रहे।
रिपोर्ट के मुताबिक, बाढ़ के लिहाज से हिमाचल के तीन जिले कांगड़ा, ऊना और बिलासपुर उच्च जोखिम श्रेणी में शामिल हैं। इसके अलावा मंडी, हमीरपुर, सोलन और सिरमौर मध्यम जोखिम वाले जिले हैं। वहीं, सूखे के लिहाज से ऊना, चंबा, कांगड़ा और हमीरपुर उच्च जोखिम में जबकि सिरमौर, शिमला, मंडी, बिलासपुर, सोलन और कुल्लू मध्यम जोखिम श्रेणी में रखे गए हैं।
कार्यक्रम के दौरान डीएसटी की वैज्ञानिक प्रमुख डॉ. अनीता गुप्ता ने कहा कि जलवायु परिवर्तन वर्तमान समय की सबसे गंभीर चुनौती है, जो कृषि, आजीविका और जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है। उन्होंने इस रिपोर्ट के निष्कर्षों को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
आईआईटी मंडी की शोधकर्ता डॉ. श्यामाश्री दासगुप्ता ने बताया कि इस अध्ययन के जरिए देश के 600 से अधिक जिलों में बाढ़ और सूखे के जोखिम का मानचित्रण किया गया है। यह परियोजना डेटा-आधारित है और समय पर सूचनाओं की उपलब्धता के महत्व को रेखांकित करती है।
आईआईटी गुवाहाटी के निदेशक प्रो. देवेंद्र जलिहाल ने कहा कि भारत का कृषि समाज मानसून पर निर्भर है, जिससे सूखा और अत्यधिक वर्षा जैसी चुनौतियां और गंभीर हो जाती हैं। रिपोर्ट के निष्कर्ष बाढ़ और सूखे दोनों जोखिमों के व्यापक मूल्यांकन की ओर इशारा करते हैं।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों में बताया गया कि देशभर में 51 जिले अत्यधिक बाढ़ जोखिम, 91 जिले अत्यंत सूखे जोखिम में हैं। वहीं, पटना (बिहार), अलपुझा (केरल) और केन्द्रपाड़ा (ओडिशा) जैसे 11 जिले बाढ़ और सूखे के दोहरे जोखिम में हैं, जहां तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है।