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मां बगलामुखी की महिमा, देवी ‘बगलामुखी’ मानी जाती है शत्रुनाशक

पी. चंद |

हिमाचल के कांगड़ा जिला के कोटला में स्थित मां बगलामुखी मंदिर प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के लोगों की आस्था का केंद्र है। बगलामुखी का यह मंदिर महाभारत कालीन माना जाता है। कहा जाता है कि पांडुलिपियों में मां के जिस स्वरूप का वर्णन है, मां उसी स्वरूप में यहां विराजमान हैं।

माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। इन माता को पीताम्बरा भी कहते हैं। ये स्तम्भन की देवी है। सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिलकर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती है। शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद – विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है।।ऐसा माना जाता है कि मां बगलामुखी की उपासना से शत्रुओं का स्तम्भन होता है और मनुष्य कष्टों से मुक्त हो जाता है।  

भगवान राम ने की थी देवी की मूर्ति की स्थापना

मां बगलामुखी के तीन प्रमुख ऐतिहासिक मंदिरों में से एक कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश ) के वनखण्डी नामक स्थान में स्थित है। माना जाता है कि त्रेतायुग में सीता हरण के बाद महृषि वशिष्ठ के परामर्श से मायारूपी शक्ति से देवी सीता का प्रादुर्भाव कर भगवान राम ने पत्नी सहित माता बगलामुखी देवी की मूर्ति की स्थापना की थी । इस स्थान पर माता बगलामुखी देवी की मूर्ति की स्थापना करने के बाद शत्रुनाशक यज्ञ पूर्ण किया गया था ,जिसका उद्देश्य रावण पर विजय प्राप्त करना था।

त्रेतायुग से वर्तमान युग तक महापुरूष तथा सामान्य वर्ग अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए इस स्थान पर यज्ञ हवन व पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। आदिकाल से राजा महाराजाओं द्वारा महन्त देवी गिरि वर्तमान मुख्य प्रबन्धक का परिवार माता की पूजा अर्चना प्रबन्धन व सेवा करने के लिए पीढ़ी दर पीढ़ी नियुक्त किया गया है।

मां की उपासना करने से मिलती है सभी कष्टों एवं दुखों से मुक्ति

यह मंदिर ज्वालामुखी से 22 किलोमीटर दूर ‘वनखंडी’ नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर कांगड़ा -चंडीगढ़ हाईवे पर स्थित है। मां बगलामुखी माता की साधना करने से सारी मन्नत पूरी होती है। देवी बगलामुखी को पीताम्बरा मां के नाम से भी जाना जाता है । कांगड़ा के वनखंडी स्थित बगलामुखी मंदिर में 12 साधुओं की समाधियां बनी हुई है और पिछले 15 वर्षों से यहां पर मां की अखंड ज्योति भी जल रही है। भगवती बगलामुखी की उपासना करने से सभी कष्टों एवं दुखों से मुक्ति मिलती है। वैदिकअनुष्ठानों के अनुसार मां बगलामुखी की साधना की जाती है । इनकी पूजा करने से हमारे बाहरी और आंतरिक दुश्मनों अर्थात कामदेव, क्रोध , लोभ, मोह और अहंकार को हराने में मदद मिलती है ।

देवी बगलामुखी मानी जाती है शत्रुनाशक

मां बगलामुखी की पूजा से शत्रुओं से रक्षा तथा उन्हें परास्त करने, कोर्ट केस में विजय दिलवाने, धनार्जन, ऋण से मुक्ति तथा वाक्-चातुर्य की शक्ति प्राप्त  होती है। मां बगलामुखी में चमत्कार और आध्यात्मिक शक्ति है और वह अपने भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि लाती है। जो भी साधक मां की पूजा पूरी विधि और साधना से करता है। मां बगलामुखी उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करती है।

तांत्रिक देवियों में अधिष्ठात्री देवी

बगलामुखी माता वास्तव में तांत्रिक देवियों में अधिष्ठात्री देवी है। बगलामुखी देवी का पूजन षटकर्म तन्त्र विद्या के आधार पर किया जाता है। जिसमें मारण, मोहन वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन, विदेष्ण 6 क्रियाएं होती हैं। उपरोक्त पूजन विधियां स्वनाम अनुसार फल प्रदान करती हैं।