शिमला नागरिक सभा,महिला समिति,जनवादी नौजवान सभा, एसएफआई,दलित शोषण मुक्ति मंच व सीटू ने पानी के मुद्दे पर प्रदेश सरकार सचिवालय छोटा शिमला के बाहर प्रदर्शन किया। नेताओं का कहना है कि प्रदेश सरकार व नगर निगम ने अगर शिमला शहर में पानी की सप्लाई का निजीकरण किया गया तथा इसे ठेके पर दिया गया तो इसके खिलाफ शिमला शहर में जबरदस्त आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
उन्होंने कहा है कि शिमला शहर में पानी की किल्लत जारी है। शहर के ज़्यादातर इलाकों में चार या पांच दिन बाद पानी दिया जा रहा है। शहर में पैदा हुई यह पानी की दिक्कत प्राकृतिक नही है बल्कि मैनमेड है। यह स्थिती पानी के अव्यवस्थित वितरण के कारण पैदा हुई है। शहर में रसूखदारों को ज्यादा पानी देने व वीआईपीज को आउट ऑफ द वे जाकर पानी की आपूर्ति करने से शहर की आम जनता प्यासी है।
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खुद नगर निगम व जिला प्रशासन कह रहा है कि शहर में 37 एमएलडी पानी की सप्लाई हो रही तो फिर पानी का संकट क्यों है। भूतपूर्व माकपा शाषित नगर निगम के शासनकाल में शहर को 16 एमएलडी पानी की आपूर्ति होने के बावजूद भी जनता को एक दिन छोड़कर पानी मिलता था परन्तु अब पानी की आपूर्ति दोगुना से भी ज़्यादा बढ़ गई है तो फिर जनता को पानी चार या पांच दिन बाद क्यों मिल रहा है। दाल में कहीं कुछ काल ज़रूर है। इसकी गहनता से जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा है कि भाजपा शासित नगर निगम द्वारा पानी के निजीकरण व ठेकेदारी की साज़िश रची जा रही है जिसे कतई भी कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। नगर निगम सैहब सोसाइटी की तरह पांच वार्डों में कूड़े के एकत्रीकरण के ठेकाकरण की तरह ही गुपचुप तरीके से पानी के निजीकरण की साजिश रच रही है। जिस से न केवल पानी की दरें कई गुणा बढ़ जाएंगी अपितु कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक जाएगी व उनका शोषण बढ़ जाएगा।