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बल्ह में आसान नहीं हवाई अड्डे की राहें, उठने लगे विरोध के स्वर

नवनीत बत्ता |

प्रदेश के मिनी पंजाब के नाम से प्रसिद्ध बल्ह घाटी में प्रदेश का पहला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की संभावनाएं प्रबल होने व स्वयं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा इसके लिए बल्ह घाटी में साइट फाइनल करने की घोषणा से हजारों किसानों की धड़कने तेज हो गई हैं। बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डे के बनने से पहले ही लोग मुआवजे के लिए अभी से भूमि अधिग्रहण कानून-2015 को लागू करने की मांग पर उतर गए हैं।

पहले फोरलेन और अब हवाई अड्डे के निर्माण के लिए किसानों और सैकड़ों परिवारों पर विस्थापन की तलवार लटक गई है। बेशक मंडी जिला में हवाई अड्डा बनने से मंडी-कुल्लू के पर्यटन को चार चांद लगेगें और कई और फायदे भी होंगे, लेकिन एक बार फिर से किसानों को विस्थापन का दंश झेलना पडे़गा।

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दूसरी तरफ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बल्ह में हवाई अड्डे में अधिग्रहण की जाने वाली जमीन से किसान प्रभावितों को उचित मुआवजा देने की बात कर रहे हैं।

हिमाचल किसान सभा अध्यक्ष परस राम और फोरलेन संयुक्त संघर्ष समिति जोगेंद्र वालिया ने कहा कि बल्ह घाटी में एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जिसमें 11 गांव एक तरफ ढाबण से कुम्मी और दूसरी तरफ डुगराई से डडौर तक 5 किलोमीटर लंबे रनवे व एक किलोमीटर चौड़ी जमीन में कई मकान हवाई पट्टी की जद में आ जाएंगे। किसान अपनी उपजाऊ जमीन जिसमें हर साल लाखों रुपये की नकदी फसलें उगाते हैं उससे पूरी तरह बेदखल हो जाएंगे।

समिति ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि उनकी सरकार राष्ट्रीय उच्च मार्ग, भूमि अधिग्रहण कानून 2015 के अनुसार फोरलेन में चार गुना मुआवजा दिलाएं और पुनर्वास व पुनर्स्थापना नीति को पूरी तरह से लागू करें और उसके उपरांत बल्ह में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने बारे सभी किसानों की सहमती से नीति बनाई जाए।