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गुरूजनों के सिंगापुर दौरे में ही सरकार ने खर्चा 6.05 करोड़, सीएम के विदेश दौरे को भी पीछे छोड़ गए

  • हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों ने विदेश दौरों में मुख्यमंत्री और मंत्रियों से अधिक खर्च किया

  • सिंगापुर, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और सर्बिया दौरों पर लाखों रुपये खर्च हुए

  • प्रारंभिक शिक्षा निदेशक बाबूराम शर्मा ने अकेले 6.05 करोड़ रुपये व्यय किए


Government spending on travel: हिमाचल प्रदेश में सरकारी अधिकारियों के विदेश दौरों पर किए गए भारी खर्च का बड़ा खुलासा हुआ है। यह खुलासा विधायक सुधीर शर्मा और सुरेंद्र शौरी के सवाल पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा सदन में प्रस्तुत लिखित उत्तर में हुआ। सबसे चौंकाने वाला मामला प्रारंभिक शिक्षा निदेशक बाबूराम शर्मा का सामने आया है, जिन्होंने 200 अध्यापकों के साथ सिंगापुर में आयोजित ‘स्टार प्रोजेक्ट’ पर 6.05 करोड़ रुपये खर्च किए। इस भारी-भरकम खर्च ने सरकारी वित्तीय नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सिंगापुर यात्रा पर सबसे अधिक खर्च

हिमाचल प्रदेश के प्रारंभिक शिक्षा निदेशक बाबूराम शर्मा ने ‘स्टार प्रोजेक्ट’ के तहत 200 शिक्षकों के साथ सिंगापुर दौरा किया। इस यात्रा पर कुल 6.05 करोड़ रुपये खर्च हुए, जो किसी भी अन्य अधिकारी की तुलना में सबसे अधिक है। यह कार्यक्रम शिक्षकों के प्रशिक्षण और स्कूली शिक्षा में सुधार से संबंधित था, लेकिन इसके खर्च ने प्रशासनिक हलकों और विपक्षी दलों में बहस छेड़ दी है।

अन्य अधिकारियों ने भी किए महंगे विदेश दौरे

सिर्फ सिंगापुर ही नहीं, बल्कि अमेरिका, दक्षिण कोरिया और सर्बिया जैसे देशों के दौरे पर भी लाखों रुपये खर्च किए गए। हिमाचल प्रदेश हॉर्टिकल्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (HPHDP) के तहत बागवानी विशेषज्ञों और अधिकारियों के अमेरिका दौरे पर 18.98 लाख रुपये खर्च हुए। वहीं, नौणी विश्वविद्यालय की दो महिला अधिकारियों—डॉ. किरण राणा और डॉ. मीना ठाकुर—ने दक्षिण कोरिया दौरे पर 6.98 लाख रुपये व्यय किए।

इसके अलावा, शिवाली ठाकुर, मीनाक्षी शर्मा, सुदर्शना नेगी, डॉ. अंजना जस्टा, डॉ. रंजना गुप्ता समेत 30 से अधिक अधिकारियों के सर्बिया दौरे पर कुल 97.20 लाख रुपये खर्च हुए।

विवादों में घिरे अधिकारी भी विदेश दौरे पर गए

खास बात यह है कि इस सूची में विवादों में घिरे अधिकारी हरिकेश मीणा का भी नाम शामिल है, जिन्होंने रिकॉर्ड में बेहद कम खर्च दिखाकर अमेरिका जैसी जगह का दौरा किया। इससे सरकारी खर्चों की पारदर्शिता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

विपक्ष ने उठाए सवाल

इस खुलासे के बाद विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। विपक्षी दलों का कहना है कि जब राज्य वित्तीय संकट से जूझ रहा है, तब सरकारी अधिकारियों के इतने महंगे विदेश दौरे करना जनता के पैसे की बर्बादी है। उन्होंने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

अब देखना होगा कि सरकार इस विवाद पर क्या रुख अपनाती है और क्या इन खर्चों पर कोई जवाबदेही तय की जाती है या नहीं।