देश भर में आज ईद-उल-फितर का जश्न है। शिमला में भी मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद के मौके पर नवाज़ अदा की और एक दूसरे को गले लगाकर ईद मुबारक दी। शिमला की मश्जिदो में ईद की नवाज़ के लिए भारी भीड़ जुटी। ईद मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्योहार है।
ईद का जश्न समुदाय के लोगो ने नए कपड़े पहनने से लेकर एक-दूसरे के गले लगकर मुंह मीठा कराने की रस्म के साथ मनाया। रमजान के 30 रोजों के बाद चांद देखकर आज ईद मनाई गई। इसे ईद-उल-फितर भी कहा जाता हैं। इस्लामिक कैलेंडर में दो ईद मनाई जाती हैं। दूसरी ईद जो ईद-उल-जुहा या बकरीद के नाम से भी जानी जाती है। ईद-उल-फित्र का यह त्योहार रमजान का चांद डूबने और ईद का चांद नजर आने पर इस्लामिक महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है। मुसलमानों का ये त्योहार भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देने वाला पर्व है।
ईद से पहले जकात और फितरा देने का महत्व- इस दिन इस्लाम को मानने वालों का फर्ज होता है कि अपनी हैसियत के हिसाब से जरूरतमंदों को दान दें। इस दान को इस्लाम में जकात और फितरा कहा जाता है। सभी हैसियतमंद मुसलमानों का फर्ज है कि वो जरूरतमंदों को दान दें।
दरअसल, रमजान के महीने में ईद से पहले फितरा और जकात देना हर हैसियतमंद मुसलमान पर फर्ज होता है। ईद के त्योहार पर लोग ईदगाह में नमाज पढ़ने जाते हैं। इसके बाद एक दूसरे के गले मिलते हैं और ईद मुबारक बोलते हैं। इतना ही नहीं सब लोग साथ में मिलकर खाना भी खाते हैं। आपसी प्रेम और भाईचारे को अपनाने वालों पर अल्लाह हमेशा मेहरबान रहता हैं। बड़ा त्योहार है ईद को मीठी ईद भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन सवईंयों और खीर से लोग एक-दूसरे का मुंह मीठा कराते हैं।
मान्यता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में विजय हासिल की थी, इसी खुशी में ईद उल-फितर मनाई जाती है। माना जाता है कि पहली बार ईद उल-फितर 624 ईस्वी में मनाई गई थी। इस दिन मीठे पकवान बनाए और खाए जाते हैं। अपने से छोटों को ईदी दी जाती है। रमज़ान के पूरे महीने रोजे रखने के बाद इसके खत्म होने की खुशी में ईद के दिन कई तरह के पकवान बनाए जाते हैंतीखे मोड़ पर ट्रक गिरा जगह पर गिरे और ओवरटेक के चक्कर में गाड़ी को मारी टक्कर