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वन विभाग के विश्राम गृह बन रहे सफेद हाथी, दक्ष कुक नहीं, अफसरशाही हावी

 

बरोट, उरला, फुलाधार, डायनापार्क जैसे पर्यटन स्थलों पर नहीं मिल पा रही पर्यटकों को मूलभूत सुविधाएं

स्थानीय युवाओं को लीज पर देने से सरकार को मिल सकता है अच्छा राजस्व

पंचायत समिति द्रंग के उपाध्यक्ष कृष्ण भोज ने मुख्यमंत्री को भेजा प्रस्ताव

समाचार फर्स्‍ट

पधर(मंडी)। हिमाचल प्रदेश में वन विभाग के अधीन संचालित 400 से अधिक विश्राम गृह आज संसाधनों की कमी और कुशल मानवबल के अभाव में अपने अस्तित्व का अर्थ खोते जा रहे हैं। इन विश्राम गृहों में प्रशिक्षित कुक व स्टाफ की भारी कमी है, जिसके चलते यह रेस्ट हाउस पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनने के बजाय ‘सफेद हाथी’ साबित हो रहे हैं।

प्रदेश के कई विश्राम गृह प्रमुख पर्यटन स्थलों से जुड़े हैं, जहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। अकेले द्रंग विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो उरला, बरोट और फुलाधार, डायनापार्क, बासाधार, सिल्हबुधाणी में स्थित विश्राम गृहों की हालत चिंताजनक है। गर्मियों में यहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाएं न मिलने के कारण उन्हें निराशा हाथ लगती है।

बरोट के युवाओं में है हुनर, लेकिन घर पर नहीं अवसर

स्थानीय जनप्रतिनिधियों का मानना है कि यदि सरकार इच्छाशक्ति दिखाए, तो इन विश्राम गृहों को पर्यटन विकास का मजबूत आधार बनाया जा सकता है। पंचायत समिति द्रंग के उपाध्यक्ष कृष्ण भोज ने बताया कि बरोट क्षेत्र से बड़ी संख्या में युवा गोवा, लेह, कोलकाता जैसे पर्यटन स्थलों पर रसोइया और होटल स्टाफ के रूप में कार्यरत हैं। यदि इन प्रशिक्षित युवाओं को अपने ही क्षेत्र में कार्य करने का अवसर दिया जाए, तो यह पर्यटन व्यवसाय को नया आयाम दे सकते हैं।

सरकार दे लीज पर, बढ़ेगा रोजगार और राजस्व

कृष्ण भोज ने सुझाव दिया है कि सरकार इन विश्राम गृहों को स्थानीय बेरोजगार युवाओं को पारदर्शी प्रक्रिया के तहत लीज पर दे। इससे न केवल स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी। साथ ही इन परिसंपत्तियों पर नौकरशाही का एकाधिकार भी समाप्त होगा।

उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से आग्रह किया है कि इस विषय को गंभीरता से लिया जाए और इस दिशा में ठोस एवं सकारात्मक निर्णय लिया जाए।