शिमला में 1815 में अंग्रेजी हकूमत ने पांव जमाना शुरू कर दिए थे। शिमला के सुहाने मौसम को देखते हुए अंग्रेजों ने 1885 में शिमला को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। इस दौरान यहां पर कालका शिमला रेल लाइन पहुंची जिसमें 100 से ज्यादा सुरंगें है। साथ में शिमला में अंग्रेजो ने आधा दर्जन अन्य सुरंगों का भी निर्माण करवाया। जो पहाड़ियों को काटकर एक जगह को दूसरी से जोड़ती हैं।
इन ऐतिहासिक सुरंगों में लोअर से रिवोली तक जोड़ने वाली टनल भी अहम है। जिसकी लम्बाई 500 मीटर है। इस सुरंग का निर्माण 1905 में करवाया गया था। सुरंग का निर्माण Christened Khachhar Surang ने करवाया था।
ये सुरंगें शिमला की आन-वान और शान है। लेकिन, दुर्भाग्य ये है कि अंग्रेजों के जाने के बाद नई सुरंग बनाना तो दूर पुरानी सुरंगों को भी सहज कर नहीं रख पाए। आधा दर्जन सुरंगों में से शिमला में अब सिर्फ तीन टनल है जो चलने लायक हैं। बाकी टनल तो अंधे विकास और कानून की भेंट चढ़ गई।
हिमाचल हाइकोर्ट की सुरंग का तो अस्तिव ही खत्म हो गया। ऑकलैंड टनल को दोबारा बनाया गया। लेकिन, उसको देखकर लगता है कि टनल नहीं लेंटर डाल दिया है। लेकिन अव्यव्यस्था की भेंट जब इस तरह धरोहर चढ़ती है तो दुःख सभी मनाते हैं लेकिन आगे कोई नहीं आता है।