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डेंटल पीजी डॉक्टरों के स्टाइपंड में भारी बढ़ोतरी की तैयारी

➤हिमाचल शिक्षा में 21वें से 5वें स्थान पर पहुंचा
➤डेंटल पीजी डॉक्टरों के स्टाइपंड में बढ़ोतरी की घोषणा
➤प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं को और अत्याधुनिक बनाया जाएगा


Himachal-pradesh: मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को राजकीय डेंटल कॉलेज, शिमला में आयोजित अंतर महाविद्यालय समारोह ‘इरप्शन-2025’ की अध्यक्षता करते हुए कहा कि आगामी वर्षों में हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में उभरेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में बड़े सुधार किए हैं। पूर्व सरकार के कुशासन के चलते 2021 में हिमाचल प्रदेश की शिक्षा गुणवत्ता 21वें स्थान पर चली गई थी, लेकिन वर्तमान सरकार के प्रयासों से अब यह 5वें स्थान पर पहुंच चुका है। सरकार का लक्ष्य इसे देश में शीर्ष स्थान पर पहुंचाना है।


मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों को जीवन में ईमानदारी, मेहनत और संकल्प का मंत्र दिया। उन्होंने अपने साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कि सरकारी स्कूल से पढ़ाई कर वे आज राज्य की सेवा कर रहे हैं। राज्य के 75 हजार करोड़ के कर्ज और कर्मचारियों की देनदारी के 10 हजार करोड़ के बोझ का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार व्यवस्था परिवर्तन के ध्येय से काम कर रही है।
शिक्षा सुधारों के तहत प्रदेश सरकार ने एक हजार स्कूलों का विलय, कक्षा पहली से अंग्रेजी माध्यम, शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए विदेश विजिट, और डायरेक्टरेट ऑफ स्कूल एजुकेशन की स्थापना जैसे कदम उठाए हैं। अगले वर्ष से 10 राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल प्रारंभ होंगे।


मुख्यमंत्री ने चिकित्सा क्षेत्र में निवेश की भी जानकारी दी। 1100 करोड़ रुपये चिकित्सा महाविद्यालयों के उन्नयन पर खर्च किए जा रहे हैं। प्रदेश के AIIMS चमियाणा में पहली रोबोटिक सर्जरी मशीन स्थापित की गई है। अगले तीन माह में मेडिकल कॉलेजों में पैट स्कैन और 3-टेस्ला एमआरआई मशीनें स्थापित की जाएंगी।
सरकार ने एमडी डॉक्टरों का स्टाइपंड 60 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपये किया है। डेंटल पीजी डॉक्टरों का स्टाइपंड भी इसी आधार पर बढ़ाया जाएगा।


कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने कहा कि यह समारोह प्रतिभा और व्यक्तित्व विकास का अवसर है। उन्होंने अनाथ बच्चों के लिए हिमाचल को देश का पहला राज्य बताया जिसने विशेष कानून बनाकर उन्हें चिल्ड्रन ऑफ दि स्टेट के रूप में अपनाया है।
मुख्यमंत्री ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को 5 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की।