हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी की तलवार ने पार्टी की साख़ को दांव पर लगा दिया है। लग़ातार हो रहे विवाद पर पार्टी पहले से ही हास्यपद बनी हुई है और अब सबकी नज़र आगमी लोकसभा चुनावों पर है कि आखिर कार मिलजुल कर काम करने के दावे करने वाला कांग्रेस हाईकमान अब क्या करने वाला है…?? क्योंकि जिस तरह पिछले दिनों लग़ातार जंग छिड़ी हुई है, उससे साफ जाहिर होता है कि पार्टी में अब आपसी तालमेल की कोई गुंजाइश नहीं।
इसी बीच अब हाईकमान भी प्रदेश कांग्रेस की इस गुटबाजी पर कड़ा रूख अपना सकता है और लोकसभा चुनावों से पहले कोई बड़ा एक्शन ले सकता है। इसके लिए बकायदा प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल बुधवार को अशोक गहलोत से मिलने वाली हैं, जहां इस गुटबाजी पर पर खुल कर चर्चा होगी।
वहीं, हाल ही में हुई कार्रवाई पर रजनी पाटिल ने कहना है कि इंटक इंडिपेंडेंट ऑर्गनाइजेशन की तरह काम करती है और संविधान के हिसाब से यहां पर किसी को हटाना या रखना प्रदेश अध्यक्ष के अधिकार में नहीं। हालांकि, अभी कल मुलाक़ात होना बाकी है, लेकिन प्रभारी के इस बयान ने साफ कर दिया है कि प्रभारी मुलाक़ात में कोई सख़्त एक्शन लेने को कह सकती हैं।
उधर, प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि पूर्व इंटक अध्यक्ष बाबा हरदीप पार्टी के प्राथमिक सदस्य नहीं थे, इसलिए वे कांग्रेस के किसी भी फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन के सदस्य या अध्यक्ष नहीं हो सकते हैं। यही कारण रहा है कि उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया गया है।