पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके पारिवारिक सदस्यों के ख़िलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच बंद हो गई है। जयराम सरकार ने हाल ही में हुई कैबिनेट में ये फैसला लिया है, जिसमें उनके मुकद्दमों को राजनीतिक द्वेष बताते हुए बंद करने के लिए कहा गया है। हालांकि, अभी सुप्रीम कोर्ट से केस वापस लेने बाकी हैं।
गृह विभाग पर बढ़ गया दबाव
धूमल और उनके बेटों पर दर्ज केस बंद करने का गृह विभाग पर सरकार का दबाव बढ़ गया है। इस मसले पर हाल ही में सरकार के नए अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह बीके अग्रवाल ने विजिलेंस के अफसरों के साथ केसों की समीक्षा भी की। धूमल के खिलाफ राज्यपाल से 2 मामलों में अभियोजन मंजूरी ली गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में चल रहा मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इनमें HPCA से जुड़े मामले भी शामिल हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल सहित उनके बेटों को भी नामजद किया गया है। हालांकि, यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है लेकिन जयराम सरकार केस वापस लेने के लिए सभी लीगल पहलुओं को खंगाल रही है। इन मामलों को भी राजनीतिक द्वेष के मामलों की कैटेगरी में डाला गया है।
2014 में शुरू हुई थी जांच
जानकारी के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री धूमल और उनके पारिवारिक सदस्यों की आय से अधिक संपत्ति होने की शिकायत पर 2014 में विजिलेंस ने प्रांरभिक जांच शुरू की थी। इसके तहत विजीलेंस ने पूर्व मुख्यमंत्री को एक प्रश्नावली भेजी थी। साथ ही शिकायत के आधार संपत्तियों का पता लगाने के लिए पड़ोसी राज्यों की सरकारों को भी पत्र लिखा गया था, लेकिन जांच के दौरान कोई पुख्ता साक्ष्य हाथ नहीं लगा। उस समय धूमल ने भी सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से जांच शुरू करने का आरोप लगाया था।
अन्य राज्यों का जानकारी देने से इंकार
प्रेम कुमार धूमल और उनके परिवार की संपत्ति का ब्योरा मांगने के लिए पंजाब, हरियाणा सहित अन्य राज्यों को पत्र लिखा गया। अन्य राज्यों ने इस संबंध मे जानकारी देने से इंकार कर दिया। इसके बाद विजिलेंस अपने स्तर पर जांच मे जुट गई और कुछ भी विशेष हाथ नहीं लगने पर जांच को बंद कर दिया गया।