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चंबा में हालात बेकाबू, बारिश से जान- माल का भारी नुकसान, बिजली-फोन-पानी- सड़कें सब बाधित, लोगों में रोष प्रदर्शन

➤ हिमाचल में आपदा से बेहाल हालात, विधानसभा ने राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव पास किया
➤ मणिमहेश यात्रा में 8 हज़ार श्रद्धालु फंसे, 3 हज़ार रेस्क्यू, श्रद्धालुओं ने चंबा में प्रदर्शन किया
➤ उप मुख्यमंत्री बोले हालात काबू में, विधानसभा अध्यक्ष ने NHAI अधिकारियों को दिए कड़े निर्देश


हिमाचल प्रदेश इस समय प्राकृतिक आपदा से बेहाल है। लगातार बारिश और भूस्खलन से कई जिलों में जनजीवन प्रभावित है। इस बीच हिमाचल विधानसभा में गुरुवार को सर्वसम्मति से एक बड़ा प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें मौजूदा मॉनसून आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की गई। विपक्षी दल भाजपा ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन चर्चा के दौरान राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के जवाब का विरोध करते हुए भाजपा विधायक बीच सदन में नारेबाजी करते रहे।

उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि चंबा, कुल्लू और लाहौल स्पीति में भारी नुकसान हुआ है। सड़कों का संपर्क टूटा हुआ है, बिजली-पानी और मोबाइल नेटवर्क बाधित है। हालांकि हालात नियंत्रण में हैं और राहत-बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं। मणिमहेश यात्रा पर गए 8 हज़ार में से 3 हज़ार श्रद्धालुओं को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है। उन्होंने अपील की कि लोग अफवाहों पर ध्यान न दें और संयम बनाए रखें।

चंबा जिला सबसे अधिक प्रभावित है। यहां श्रद्धालुओं ने डीसी कार्यालय के बाहर सड़क पर प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि प्रशासन ने उचित इंतजाम नहीं किए, यात्रा हर साल होती है लेकिन इस बार श्रद्धालुओं को पानी, भोजन और नेटवर्क जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ा। बार एसोसिएशन के वकील भी उनके समर्थन में उतर आए। प्रदर्शन के दौरान डीसी और वकीलों के बीच कहासुनी हो गई, जिससे तनाव और बढ़ गया। श्रद्धालुओं ने सड़क जाम कर प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

चंबा  में अब तक 11 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। लेकिन मरने वालों का आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है। बारिश से भरमौर, होली और आसपास के इलाकों में भी जनजीवन अस्त-व्यस्त है। नेटवर्क न होने से लोग अपने परिजनों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं, जिससे हालात और कठिन हो गए हैं।

विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानियां ने भी आपदा की गंभीरता को देखते हुए विधानसभा परिसर में ही NHAI अधिकारियों की बैठक बुलाई और फोरलेन प्रोजेक्ट्स को सही ढंग से करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों की अपनी समस्याएं होती हैं, इसलिए उनके लिए अलग नीति बननी चाहिए ताकि विकास और कुदरत में सामंजस्य बैठ सके।

सलूणी उपमंडल के विभिन्न ग्राम पंचायतों में भारी बारिश और भूस्खलन की वजह से कई परिवार बेघर हो गए हैं। ग्राम पंचायत सलूणी में तीन, खरोटी में चार, खरल में तीन, भलेई में सात, हडला में आठ और ब्रांगाल ग्राम पंचायत में चार परिवारों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट होना पड़ा है। ये परिवार अपने रिश्तेदारों के पास रह रहे हैं। सलूणी के एसडीएम चंद्र बीर सिंह ने बताया कि प्रशासन ने भलेई के पर्यटन भवन में प्रभावित परिवारों के रहने की व्यवस्था कर दी है। परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है ताकि वे सुरक्षित और आरामदायक वातावरण में रह सकें। एसडीएम ने लोगों से अपील की है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और जोखिम भरे इलाकों में न जाएं।

प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है कि हालात जल्द सामान्य होंगे, लेकिन ज़मीनी स्तर पर प्रभावित लोगों की परेशानी बनी हुई है।