केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने शिमला में चल रहे उर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में प्रदेश को बीबीएमबी में स्थायी सदस्यता मिलने की वकालत की। उन्होंने कहा कि हिमाचल बीबीएमबी में सदस्य प्रतिनिधि तो है लेकिन स्थायी सदस्य नहीं है। ऊर्जा मंत्री ने साथ ही हिमाचल प्रदेश के बीबीएमबी में हिमाचल प्रदेश की सभी बकाया देनदारियों को भी चुकाए जाने की भी वकालत की और इस पर सम्मेलन में चर्चा की भी बात कही।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश लंबे अरसे से पंजाब से बीबीएमबी से 4 हज़ार करोड़ की बकाया हिस्सेदारी के लिए लंबे अरसे से मांग कर रहा है लेकिन अभी तक ये राशि नहीं मिल पाई है। हालांकि हिमाचल इस मामले में हिमाचल सुप्रीम कोर्ट में केस जीत चुका है और सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे लेकर पंजाब को आदेश जारी किए थे, बावज़ूद इसके हिमाचल को ये हिस्सा नहीं मिल पाया है ।
इसी बीच केंद्रीय मंत्री ने सभी राज्यों को कोयला खरीद के लिए की अनुमति राज्यव को ही देने के लिए पत्र लिखा है । कुछ राज्यों की शिकायत थी कि उनके राज्यों में उर्जा के लिए अब कोलये का स्टॉक या तो खत्म है या खत्म होने के कगार पर है। दिल्ली के उर्जा मंत्री सतेंद्र जैन ने दिल्ली में कोलये के स्टॉक के खत्म होने को लेकर बैठक में बात उठाई थी और दिल्ली में थर्मल पावर के लिए कोयले का स्टॉक बिल्कुल खत्म हो गया है और दिल्ली में ऊर्जा संकट के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया ।
जैन ने कहा है कि केंद्र की नीतियों को वजह से ये हालात पैदा हुए है, केंद्र को हमने एडवांस भुगतान कर दिया है उसके बाद भी ये स्थिति उत्पन्न हुई है।
दिल्ली में झाझर ड्डरीबोर बदरपुर थर्मल पॉवर प्लांट्स में कोयला बिल्कुल समाप्त है। कोयला आयात करना केंद्र की ज़िम्मेदारी है। दिल्ली में उर्जा की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने महंगे समझौते किए है। उसके बावजूद भी अगर बिजली नहीं मिल पा रही इसके लिए केंद्र सरकार ज़िम्मेदार है।