4 जुलाई 2017, ये वो तारीख़ है जिस दिन हिमाचल में बहुचर्चित कोटखाई गुड़िया रेप हत्याकांड हुआ था। हालांकि, इस घटना के पता 6 जुलाई को लगा जब नाबालिग छात्रा की लाश कोटखाई के जंगलों में पड़ी मिली। लेकिन, उसका शव यहां 2 दिनों के बाद बरामद हुआ। जैसे ही शर्मनाक घटना पब्लिक हुई, देवभूमि की साख़ ज़मीन पर आ गिरी क्योंकि युवती का शव संदिग्ध परिस्थितियों में बरामद हुआ था।
कोर्ट ने इसपर तुरंत कार्रवाई करने की बात कही और पुलिस ने जल्द ही 4 लोगों को कथित रूप से आरोपी बनाया। इन आरोपियों को प्रदेश की जनता ने फ़ेक करार दिया और शिमला में खूब हुलड़बाजी हुई। इसके बाद थाने में पूछताछ के दौरान एक आरोपी सूरज की हत्या भी कर दी गई, जिसका केस अभी तक नहीं सुलझ पाया। जब लोगों को इस बात का पता चला तो गुस्साए लोगों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए औऱ कोटखाई थाने तक को आग के हवाले कर दिया। कहा तो ये भी जा रहा था कि यहां थाने में शराब की बोतलें भी बरामद हुई थीं।
पुलिस से बात न बनती देख लोगों ने जांच सीबीआई के हवाले करने की बात कही, लेकिन उस वक्त मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पुलिस को सक्षम बताते हुए पुलिस से जांच जारी रखी। बाद में तनाव बढ़ता और हाईकोर्ट के संज्ञान के बाद वीरभद्र सिंह ने जांच के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखा और 18 जुलाई को जांच सीबीआई के हवाले कर दी गई।
सीबीआई ने दर्ज किए 2 केस
सीबीआई ने आते ही गुड़िया रेप हत्या कांड में 2 मामले दर्ज किए, जिसमें एक तो गुड़िया केस का था जबकि दूसरा थाने में कथित आरोपी सूरज की हत्या का था। कोर्ट ने सख़्त लहजे में सीबीआई को 15 दिन के अंदर रिपोर्ट देने के लिए कहा, लेकिन सीबीआई ने 3 महीने के वक़्त की मांग की, जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए 15 दिन का वक़्त दिया। 15 दिनों में सीबीआई ने कई जगहों पर जांच की, पीड़िता के घरवालों से भी पूछताछ हुई, लेकिन कुछ खास तथ्य हाथ नहीं लगे। 7 अगस्त को कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सीबीआई को कोर्ट से लताड़ लगी और उसके बाद सीबीआई ने जांच में तेजी लाई।
IG समेत 8 पुलिस कर्मी ग़िरफ्तार
कोर्ट से मिले एक्सपेंशन के बाद सीबीआई ने दोनों केसों में जांच तेज की और सितंबर माह की शुरुआत में पुलिस SIT टीम के सदस्य IG जैदी समेत 8 पुलिस कर्मियों को ग़िरफ्तार किया। हालांकि ये कार्रवाई सूरज लॉकअप हत्याकांड में की गई थी, जबकि गुड़िया केस अभी भी उलझा ही पड़ा था। 7 सितंबर को इन सभी पुलिसवालों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हें न्यायिक हिरासत पर भेज दिया गया। तब से लेकर आज दिन के वे न्यायिक हिरासत पर ही चल रहे हैं।
SP DW नेगी की भी ग़िरफ्तारी
पुलिसवालों की ग़िरफ्तारी के बाद मामला कुछ हद तक तो शांत हो गया, लेकिन गुड़िया कांड में कोई कार्रवाई सामने नहीं आई। कोर्ट लगातार सीबीआई को एक्सपेंशन देता रहा और अक्टूबर माह में सीबीआई ने फिर पूर्व शिमला SP DW नेगी को लॉकअप हत्याकांड में ग़िरफ्तार किया। नेगी की ग़िरफ्तारी के बाद सरकार की भी सवाल उठने लगे, क्योंकि नेगी वीरभद्र के काफी क़रीबी माने जाते थे। उस समय विपक्ष में बैठी बीजेपी ने इसे राजनीतिक रंग दिया और कानून व्यवस्था पर खूब हंगामा किया। ऐसे ही कुछ मुद्दों की बदौलत बीजेपी ने 2017 विधानसभा चुनाव फतह किए और सत्ता में काबिज हुई।
नेगी से मिलने पहुंचे नए DGP मरड़ी
नवम्बर-दिसम्बर में चुनावों का दौर जोरों पर रहा और जनवरी में नव नियुक्त जयराम सरकार ने सारा मामले में उचित जांच करने के दावे किए। कई अधिकारियों के तबादले हुए और इसी कड़ी में DGP सोमेश गोयल को भी बदला गया और उनकी जगह SR मरडी को लगाया गया। 10 फरवरी को मरडी लॉकअप हत्याकांड में आरोपी पूर्व SP DW नेगी से मिलने जेल में पहुंचे। इस बात को गुप्त रखा गया, लेकिन जब पूर्व एसपी सोमेश गोयल को इसका पता चला तो उन्होंने जेल अधीक्षक से जांच रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि ये मुलाक़ात जेल में नहीं बल्कि अधीक्षक के कमरे में हुई औऱ इसे गुप्त रखा गया था। सोमेश गोयल ने बकायदा इसकी रिपोर्ट कोर्ट और सरकार को भी भेजी। सरकार ने भी इसपर जांच की बात कही, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई मरडी के खिलाफ नहीं की गई।
कोर्ट ने 28 मार्च को सीबीआई को लगाई फटकार
इसके बाद लॉकअप हत्याकांड में तो कई दलीलें पेश की गई, लेकिन गुड़िया केस में कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। यहां तक कि जो कथित आरोपी पुलिस टीम ने पकड़े थे, उनकी भी ज़मानत याचिकाएं आने लगी। इसके बाद 28 मार्च को कोर्ट ने सीबीआई को लताड़ लगाई और 9 अप्रैल तक फाइनल रिपोर्ट देने के लिए कहा गया। कोर्ट से लताड़ के तुरंत बाद सीबीआई को दिल्ली से कोई रिपोर्ट मिली और 30 मार्च को दोबारा सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट 25 अप्रैल तक सभी फाइनल रिपोर्ट देने के वक़्त दिया। वहीं, सीबीआई वकील अंशुल बसंल ने भी दावा किया कि वे 25 अप्रैल से कोई बड़ा खुलासा करेंगे।
13 अप्रैल को गुड़िया केस में पहली ग़िरफ्तारी
इसी बीच 13 अप्रैल को सीबीआई ने गुड़िया केस में पहली ग़िरफ्तारी की और उसे कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने आरोपी चरानी को न्यायिक हिरासत पर भेज दिया और 25 अप्रैल को दोबारा सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट सीबीआई के बयानों से कुछ असंतुष्ट दिखा और उन्होंने सीबीआई को डॉयरेक्टर को 9 मई तक तलब होने के आदेश दिए। 7 और 9 मई को दोबारा सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत मिलती रही।
आरोपी ने गुनाह कबूलने से किया इंकार
इसके बाद हर बार सुनवाई होती रही और कोर्ट ने सीबीआई को कई दफा चार्जशीट दायर करने को कहा औऱ चार्जशीट दायर हुई। जून माह की शुरुआत में हुई सुनवाई गुड़िया केस में फिर नया मोड़ आया और आरोपी चरानी ने गुनाह कबूलने से इंकार कर दिया। आरोपी ने कहा कि वे आगे केस लड़ना जारी रखेंगे और गुनाह नहीं कबूलेंगे। हालांकि, गुनाह कबूलने की बात पर भी सवाल किया गया, जिसपर दलील पेश की गई कि सीबीआई के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं, जबकि सीबीआई का कहना है कि उन्होंने कई लोगों के बयान दर्ज किए हैं।
सीबीआई ने मॉनिटरिंग बंद करने की लगाई गुहार
इसके बाद 27 जून को सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट में मॉनिटरिंग बंद करने की ग़ुहार लगाई, जिसपर 9 अगस्त को सुनवाई होगी। इसके आलावा आरोपी पुलिसकर्मियों द्वारा भी इस मामले में शपथपत्र जो दायर किये हैं उस पर भी सुनवाई 9 अगस्त तक टल गई है। सीबीआई के वकील ने मांग की थी कि इस एफिडेविट को चार्जशीट का हिसा बनाया जाए जिसको लेकर अब मामले की सुनवाई 9 अगस्त को होगी।
अब एक साल का वक़्त हो चुका है और अभी तक न तो गुड़िया केस और न ही सूरज हत्याकांड के आरोपियों को सज़ा मिल पाई है। हालांकि, कुछ आरोपियों पर कार्रवाई तो हो रही है लेकिन अभी तक दोनों केस किसी पक्के निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे।