श्रीखंड महादेव के रुहानी सफर पर निकलने की हिम्मत भोलेनाथ में अटूट आस्था रखने वाले कई लोग ही कर पाते हैं। श्रीखंड महादेव यात्रा आज शुरू हो गई है। सुबह देवविधि से सिहंगाड़ से यात्रा का शुभारंभ हो गया है। यह धार्मिक यात्रा 31 जुलाई तक चलेगी। पहाड़ की 18570 फीट ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव की झलक के लिए भक्तों को 35 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। बर्फीले दुर्गम ग्लेशियरों से होकर गुजरने वाला यह रास्ता खतरों से भरा हुआ है। जिला प्रशासन के मुताबिक 32 किलोमीटर लंबे रास्ते को PWD के साथ वन विभाग की मदद से दुरुस्त कर लिया गया है।
यात्रा शांतिपूर्ण संम्पन हो इसके लिए पुलिस की एक बटालियन के साथ होमगार्ड के 25 जवान तैनात किए गए है। श्रद्धालुओं को किसी तरह की समस्या न हो, इसके लिए जिला प्रशासनऔर श्रीखंड ट्रस्ट ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। आपातकालीन स्थिति से निपटने को एक टीम तैनात की गई है। एक रेस्क्यू वाहन भी रखा है। डॉक्टरों कीएक टीम 17 दिन तक यहां रहेगी। सभी यात्रियों का पंजीकरण के साथ स्वास्थ्य जांचा जा रहा है।
सिंहगाड़,थाचडू, कालीघाट, भीमडवार, पार्वतीबाग, नयन सरोवर आदि मनमोहक व आकर्षित स्थलों से होकर गुजरने वाली श्रीखंड यात्रा के दौरान रास्ते में ढाबे और लंगरों में बने खाने की रोजाना गुणवत्ता जांची जाएगी। श्रीखंड यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए एचआरटीसी बसों के साथ टैक्सियों की मदद ली जाएगी। निगम की बसों और टैक्सियों से भक्तों को श्रीखंड जाने वाले रास्ते तक बनी सड़क तक पहुंचाया जाएगा।
माना जाता है कि पांडवों ने भीमडवारी में कुछ समय व्यतीत किया था। इसके साक्ष्य यहां भीमडवारी में मिलते हैं। भीम ने एक राक्षस को भी मारा था, जो यहां आने वाले भक्तों को मार देता था। राक्षस का रक्त जब गिरा तो पूरी जमीन लाल हो गई। आज भी दूर से देखने पर यहां की जमीन और पानी लाल रंग का दिखता है। कहा जाता है भीम ने स्वर्ग जाने के लिए सीढ़ियां बनाने के लिए इन विशालकाय पत्थरों को तोड़ा था, मगर समय की कमी के कारण सीढ़ियां पूरी नहीं बन पाईं। भीमडवारी पहुंचने के बाद रात के समय यहां कई प्रकार की जड़ी-बूटियां चमक उठती हैं। भक्तों का दावा है कि यहां संजीवनी बूटी भी मौजूद है। हर वर्ष देश-विदेश के श्रद्धालु श्रीखंड यात्रा पर जाते हैं।