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शिक्षा विभाग ने की HPU पर सख्ती, रूसा से मिली ग्रांट के खर्चे का सार्वजनिक करें लेखाजोखा

डेस्क |

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय पर शिक्षा विभाग ने सख्ती वर्तते हुए रूसा के तहत मिल रही करोड़ों की ग्रांट से जो कार्य के लिए खर्च किया गया है, उसकी जानकारी को प्रशासन की ओर से सावर्जनिक नहीं किया जा रहा है।

गौरतलब है कि एचपीयू प्राप्त ग्रांट के खर्च होने की जानकारी विभाग को यूटीलाईजेशन सर्टिफिकेट के माध्यम से दे रहा है, लेकिन जानकारी को सार्वजनिक करने के निर्देशों को बार-बार अनदेखा किया जा रहा है। बता दें कि रूसा के नियमों के मुताबिक जो भी शिक्षण संस्थान ग्रांट प्राप्त कर रहे हैं उन्हें इस्तेमाल किए गए फंड की जानकारी को सार्वजनिक करने के लिए एक बोर्ड कैंपस में लगा कर उस पर प्राप्त ग्रांट का ब्योरा देना अनिवार्य किया गया है।

प्रदेश के 46 कॉलेजिस को रूसा के पहले चरण में दो-दो करोड़ की ग्रांट मिली है और वे सभी कॉलेज तो इस नियम का पालन कर रहे हैं, लेकिन दो-तीन बार निर्देश दिए जाने के बाद भी मात्र एक एचपीयू ने ही इसे गंभीरता से नहीं लिया है। एचपीयू को रूसा से 17 करोड़ के करीब ग्रांट अभी तक रूसा से मिली है और 23 करोड़ के करीब अभी ग्रांट मिलनी बाकी है।

जानकारी के लिए बता दें कि मिले हुए17 करोड़ में से खर्च किए गए 8 करोड़ की जानकारी एचपीयू को डिस्प्ले बोर्ड पर देनी है। जिसमें भवन बनाने के लिए खर्च की गई राशि, मशीनरी और अन्य लैब का सामान खरीदने का खर्च और विवि हॉस्टलों की मुरम्मत पर किए गए खर्च की सारी जानकारी को बोर्ड और सार्वजनिक करना होगा।

वहीं, शिक्षा विभाग भी अब इस मामले को लेकर एचपीयू प्रशासन से सख्ती दिखा रहा है। विभाग ने एचपीयू प्रशासन को निर्देश जारी किए हैं कि ग्रांट के ब्योरे का बोर्ड जल्द से जल्द कैंपस में लगाया जाए।

छात्रों को जानकारी देना मुख्य मकसद

राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा प्रणाली के तहत मिलने वाली ग्रांट का खर्चे का ब्योरा बोर्ड पर लिख कर उसे कैंपस में लगाने का मुख्य मकसद छात्रों को कैंपस में करवाए जा रहे विकास कार्यों से अवगत करवाना है। वहीं, सभी संस्थानों को निर्देश हैं कि जो भी फर्नीचर या अन्य वस्तु रूसा ग्रांट से खरीदी जा रही है उस पर रूसा के लोगो का बना स्टीकर लगाया जाए, लेकिन विवि द्वारा इस बात को भी नजरअंदाज किया जा रहा है।