जभीमा-कोरेगांव मामले में नक्सल कनेक्शन के आरोप में गिरफ्तार 5 मार्कसवादी चिंतकों के लिए देश में भयंकर चर्चा छिड़ गई है। फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम समेत तमाम सोशल नेटवर्क और ब्लॉग्स में इसे 'अघोषित इमरजेंसी' करार दिया जा रहा है। पुणे पुलिस की अगुवाई में जिन 5 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं (मार्क्सवादी चिंतक) की गिरफ्तारी की गई है, वे अपने क्षेत्र के बौधिक लोग माने जाते हैं। लेकिन, इनके संदर्भ में शहरी नक्सलवाद की धारणा भी चर्चा मैं है।
देश के अलग-अलग शहरों से गिरफ्तार पांचों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के विरोध में विख्यात इतिहासकार रोमिला थापर और चार अन्य कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिक दायर की है। महाराष्ट्र पुलिस द्वारा मंगलवार को गिरफ्तार किए गये इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर माओवादियों से संपर्क होने का संदेह है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस याचिका का उल्लेख कर इस पर बुधवार को ही सुनवाई करने का अनुरोध किया है। इस मामले में बुधवार को ही पौने चार बजे से सुनवाई होगी।
न्यायालय में दायर याचिका में इन कार्यकर्ताओं की रिहाई और इनकी गिरफ्तारियों के मामले की स्वतंत्र जांच कराने का भी अनुरोध किया गया है।
गौरतलब है कि पुणे के पास भीमा-कोरेगांव विवाद के बाद महाराष्ट्र पुलिस ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तरह पीएम मोदी की हत्या की साजिश रचे जाने का खुलासा किया था। इसमें एक चिट्ठी बरामद हुई थी। जिसके बाद पुलिस ने व्यापक स्तर पर छानबानी और छापेमारी की है।