आवारा पशु किसानों की फसल चट कर जा रहे हैं। किसानों की गाढ़ी कमाई और उनकी मेहनत पर झुण्ड के झुण्ड आवारा जानवर रातों-रात पानी फेर देते हैं। नतीजा ये है कि अनेक किसानों का खेती से मोहभंग हो चुका है। वे मजबूर हैं आवारा जानकरों का कुछ कर नहीं सकते और सरकार व स्थानीय प्रशासन कुछ करना नहीं चाहता।
ताजा मामला घुमारवीं के तहत आने वाली पंचायतों में जहां किसानों की फसल आवारा पशु चट कर रहे हैं। वहीं अब जंगली सूअर भी किसानों की मेहनत पर पानी फेरने में पीछे नहीं हैं। किसानों को रोटी के लाले पड़ने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है ।
किसानों को बीजाई से लेकर कटाई तक हजारों रुपये खर्च करते हैं लेकिन फसल का एक भी दाना घर नहीं पहुंचा पाता है। राज नेता चुनावों के समय आवारा पशुओं और जंगली जानवरों से निपटने के लिए किसानों को लुभाने वादे करके वोट हासिल कर लेते हैं। लेकिन जब कुर्सी मिल जाती है तो किसानों के साथ किए वादों को भूल जाते हैं। और किसान आवारा पशुओं जंगली जानवरों की समस्या से जुटे रहते हैं।
ऐसा ही मंजर ग्राम पंचायत औहर के गांव औहर, भजवानी, सेपडा, दादयाना, पलथी में देखा जा सकता है सैंकड़ों वीघा जमीन में बोई फसल आवारा पशुओं जंगली जानवरों ने चट कर दी है। किसानों में मंदन लाल ठाकुर, विजय कुमार ,इन्द्रजीत ,मनोहर लाल ,अशोक कुमार ,ब्रह्मप्रकाश ,रामकृष्ण ,जगरनाथ कटवाल , रामलाल शर्मा ,लाल धीमान महिला मंडल प्रधान कश्मीरी देवी आदि ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि आवारा पशुओं व जंगली जानवरों के द्धारा किसानों की बरबाद की गई फसल का मुल्यांकन करवाया जाए और किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए।