कश्मीर में जुमे की नामज के बाद पत्थरबाजी की तस्वीरें अक्सर सामने आती हैं, मगर इस बार पत्थरबाजी की जो तस्वीरें सामने आई हैं, उनमें एक नया प्लान छिपा हुआ है। यह नया प्लान जम्मू-कश्मीर पुलिस का है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पत्थरबाजी को अंजाम देने वाले असली गुनाहगारों को गिरफ्तार करने के लिए खुद पत्थरबाज का भेष बना लिया और भीड़ में शामिल हो गए।
शुक्रवार को कश्मीर में जुमे की नमाज के बाद पत्थरबाज हमेशा की तरह जोरदार पत्थरबाजी करने लगे, तभी भीड़ में भेष बदलकर शामिल पुलिसकर्मियों ने इनको पकड़ना शुरू कर दिया। इस दौरान कई पत्थरबाजों को गिरफ्तार भी किया गया। पत्थरबाजी करने वाले लोगों की भीड़ में शामिल पुलिसकर्मी उनको पकड़कर ले लाए। वहीं, दूसरी तरह सुरक्षाबल पत्थरबाजों को काबू में करने की कोशिश भी करते रहे।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के इस नए प्लान को पत्थरबाज तनिक भी नहीं भांप पाए। पाकिस्तान के पालतू अलगावादियों के गुमराह किए हुए पत्थरबाजों को जब भीड़ में भेष बदलकर शामिल पुलिसकर्मी पकड़ने लगे, तो उनको कुछ समझ में ही नहीं आया। ये पत्थरबाज पुलिसकर्मियों को गलती से अपना दोस्त समझ बैठे थे। जो तस्वीरें सामने आई हैं, उनमें नकाब बांधे पुलिसकर्मी पत्थरबाजों के बीच से एक युवक को पकड़कर लाता दिख रहा है।
बताया जा रहा है कि नकाबपोश पत्थरबाजों को काबू में करने के लिए जम्मू-कश्मीर के जवान खुद पत्थरबाजों की तरह भेष बनाकर नकाब बांधकर इनके गुट में शामिल हुए। पत्थरबाजों ने इन्हें अपना साथी समझा और इसी बात का फायदा उठाकर सुरक्षाबलों ने पत्थरबाजी करा रहे सरगना को पकड़ लिया। इससे पहले 2010 में भी सुरक्षाबलों ने ऐसा ही प्लान अपनाया था और एक बार फिर पत्थरबाजों के ग्रुप में शामिल होकर उन्हें पकड़ने का ये फॉर्मूला अपनाया जा रहा है।
अब यहां सवाल यह है कि पत्थरबाजों के खिलाफ क्या सुरक्षाबलों का ये मास्टर स्ट्रोक है या इसके अपने नुकसान भी हो सकते हैं। निश्चित तौर पर पत्थरबाजों पर लगाम लगाने का ये फॉर्मूला तो ठीक है, मगर इसमें सुरक्षाबलों की पहचान जाहिर हो जाने का खतरा भी है। हालांकि कुछ रक्षा विशेषज्ञ इस स्ट्रैटजी को बेहतरीन मान रहे हैं।
दो दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर के डीजी शीशपाल वैद्य का तबादला हुआ है। उनकी जगह डीजी जेल रहे दिलबाग सिंह को जम्मू-कश्मीर की कमान सौंपी गई है।
ऐसे में माना जा रहा है कि पत्थरबाजों से निपटने के लिए नए डीजी ने नई योजना बनाई है. हालांकि आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस की तरफ से ऐसी योजना की पुष्टि नहीं की गई है, मगर माना यही जा रहा है कि पत्थरबाजों की पलटन में घुसकर उन्हें पकड़ने की योजना पत्थरबाजी की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए किया गया नया प्रयोग है। अब ये प्रयोग कितना सफल होगा, यह तो आने वाले वक्त में पता चलेगा।