हिमाचल में आसमानी आफत से हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में स्कूल और कॉलेज बंद हैं। सूबे के 126 मार्ग बंद हैं। भारी पैमाने पर जानो-माल के नुकसान की ख़बर हैं। माना जा रहा है कि बारिश और बाढ़ से तबाही का मंजर और विभत्स हो सकता है। ऐसे में पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली ने हालात पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने प्रदेश में हुए नुकसान और जान गंवाने वाले लोगों के प्रति संवेदना जाहिर की है। साथ ही साथ उन्होंने प्रदेश सरकार को आपदा से निपटने के लिए सुझाव भी दिए हैं।
जीएस बाली ने समाचार फर्स्ट के साथ बातचीत में कहा कि प्रदेश में आपदा एक सच्चाई है। लेकिन, इससे निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा, ' मैंने पहले भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बरसात के टाइम में प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म सॉल्यूशन सुझाए थे। मगर इन पर अमल नहीं हो पाया। तात्कालिक रूप में सरकार अभी भी फौरी तौर पर फ्लड संभावित और प्रभावित इलाकों में पैरा-मिलिट्री की मदद ले। साथ ही साथ लोगों के पुनर्वास और रास्तों को ठीक करने के लिए संबंधित विभागों को क्रियाशील करे और स्वयंसेवी संस्थाओं की भी मदद लें।"
जीएस बाली ने कहा कि आपात स्थिति में कोशिश होनी चाहिए कि जो इलाके आपदा प्रभावित हैं उन्हें पहले टैकल किया जाए। साथ ही साथ उन इलाकों को भी चिन्हित करके रेस्क्यू और प्रॉटेक्शन सामग्री भेजी जो आपदा संभावित क्षेत्र हैं।
पूर्व मंत्री ने कहा कि एक बाद एक बरसात से प्रदेश त्राहिमाम करने लग रहा है। लिहाजा, पहले ही सरकार को स्थिति से निपटने के लिए जरूर सुझाव दिए थे। जिन नदियों का जल-स्तर खतरे के निशान को पार करता है, उन इलाकों में पहले रेस्क्यू टीम और राहत सामग्री मुहैया कराने की बात कही थी। मगर दुख है कि आफत आने के बाद भी स्थिति को सही ढंग से संभाला नहीं जा रहा है। जीएस बाली ने कहा कि यह वक्त राजनीति से ऊपर उठकर प्रदेश के प्रभावित लोगों की मदद करने का है। लिहाजा, आम जन भी सरकार की मदद के लिए आगे आएं।
जीएस बाली ने कहा कि फिलवक्त में हिमाचल को लॉन्ग टर्म पॉलिसी पर काम करना होगा। क्योंकि, आपदाओं को रोका नहीं जा सकता। बल्कि इनसे कम से कम जानो-माल की क्षति होने से बचाया जा सकता है।