टांडा अस्पताल में उस समय हड़कंप मच गया जब लिफ्ट के पास एक नवजात मृत आवस्था में मिला। सुरक्षा कर्मी ने इसकी जानकारी के तुरंत अस्पताल के एमएस डॉक्टर गुरदर्शन गुप्ता को दी, जिसके बाद पुलिस को इन्फ्रॉम किया गया। स्थानीय लोगों को कहना है कि ये सरासर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस जांच के बाद सामने आया कि डॉक्टरों ने मृत बच्चे को निरीक्षण के लिए ऑब्जर्वेशन पर रखा था और उसके साथ ही डिब्बे में कैमिकल डालकर पॉलीथिन बैग भी था। जब सफाई कर्मी यहां सफाई के लिए आया तो वे उसे भी बाहर ले गया। अस्पताल प्रशासन की ये दलील काफी अजीबो-ग़रीब नज़र आती है कि क्या किसी सफाई कर्मी को कूड़े और बच्चे में फ़र्क तक नहीं मालूम…?? या फिर किसी ने उसे बाहर ले जाने के आदेश दिए थे…??
हालांकि, पुलिस ने भी माना कि इसमें अस्पताल प्रशासन की लापरवाही है और मंगलवार को एसपी संतोष पटियाल ने भी खुद अस्पताल जाकर मौके पर मुआयना किया। वहीं, एमएस गुरदर्शन गुप्ता का कहना है कि मृत बच्चा निरीक्षण के लिए ऑबजर्वेशन पर रखा गया था और वे बाहर कैसे पहुंचा इसकी जांच की जाएगी। फिलहाल बच्चे के माता-पिता का भी कुछ पता नहीं चल पाया है, लेकिन पुलिस ने बच्चे को अस्पताल प्रशासन के हवाले कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इससे पहले क़रीब 2 साल पहले भी टांडा में ऐसा देखने को मिला था, जब एक आवारा कुत्ता एक मृत नवजात शिशु को अपने मुंह में लेकर इधर-से उधर दौड़ रहा था। उसे देखकर सुरक्षा कर्मियों ने कुत्ते के मुंह से नवजात को छुड़वाया था।