हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यों वाली विधानसभा में बुजुर्ग नेताओं का बोलबाला है। इनमें से 28 विधायक ऐसे हैं जो वरिष्ठ नागरिक हैं। ऐसे में नई सोच और नए विधायकों की फौज को लेकर आगामी विधानसभा में भी स्थिति संदिग्ध ही जान पड़ रही है। क्योंकि, विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र युवा लगातार टिकट के लिए कसरत कर रहे हैं। लेकिन, उम्र के 70 बसंत पार कर चुके नेताओं की भीड़ के आगे इनकी मेहनत पर पानी फिर सकता है।
दरअसल, वर्तमान विधानसभा में 81 से 85 वर्ष तक के तीन सदस्य, 76 से 80 वर्ष के भी तीन सदस्य, 71 से 75 चार सदस्य, 66 से 70 आठ सदस्य हैं। इसी तरह से 61 से 65 दस सदस्य, 55 से 60 वर्ष के आठ सदस्य, 51 से 55 तेरह सदस्य, 46 से 50 नौ सदस्य, 36 से 40 वर्ष तक के चार सदस्य, 31 से 35 सबसे युवा मात्र दो सदस्य जीत कर पहुंचे हैं।
इन सदस्यों में से सामान्य जाति वर्ग के 47 सदस्य हैं, अनुसूचित जाति के 17 सदस्य हैं जबकि अनुसूचित जनजाति के तीन सदस्य प्रदेश की लगभग 70 लाख जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
हिमाचल विधानसभा में पहुंचे सदस्यों की शिक्षा पर बात करें, तो पीएचडी डिग्री धारक एक सदस्य है, एमफिल तीन सदस्यों ने की है, पीजी 9 सदस्य हैं, लॉ पीजी भी तीन सदस्य हैं, प्रोफेसर ग्रेजुएट चार हैं, ग्रेजुएट 21 सदस्य हैं, अंडर ग्रेजुएट तीन हैं, डिप्लोमा होल्डर एक है, जमा दो पांच सदस्य हैं, जबकि दस पास एमएलए तीन पहुंचे हैं।
इन सदस्यों में तीन सदस्य ऐसे हैं जो आठ बार जीतकर विधानसभा पहुंचे, सात सदस्य एक बार, छह सदस्य पांच मर्तबा, पांच सदस्य छह बार, चार सदस्य तीन टाइम, तीन सदस्य 13 बार, दो सदस्य 13 मर्तबा जबकि सबसे ज्यादा पहली बार 26 विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं।