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IIT मंडी कैंपस में निजी स्कूल खोलने का मामला: SC ने केंद्रीय मंत्री सहित 11 को भेजा लीगल नोटिस

समाचार फर्स्ट डेस्क |

आईआईटी मंडी संस्थान में खोले गए नीजी स्कूल की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को 21 दिनों के भीतर देनी होगी। इससे पहले आईआईटी मंडी आरटीआई में स्कूल की जानकारी देने से तो इंकार कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डॉ. दिनेश रत्न भारद्वाज ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, सचिव आर. सुब्रामण्यम, आईआईटी मंडी के डायरेक्टर प्रो. टीमोथी ए.गोंजाल्विस, बीओजी के चेयरमैन सुबोध भार्गव सहित 11 लोगों को लीगल नोटिस भेजकर 21 दिनों के भीतर जवाब मांगा है। भेजे गए लीगल नोटिस में पूछा गया है कि किसकी अनुमति से आईआईटी ने अपने कैंपस के एक भवन में माइंड ट्री नाम से प्राइवेट स्कूल खोला, जबकि केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत यहां सिर्फ केंद्रीय विद्यालय ही खोला जा सकता है।

नोटिस में यह भी लिखा गया है कि 21 दिनों में कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो फिर आईआईटी के खिलाफ केंद्र सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट में भ्रष्टाचार का मामला चलाया जाएगा।

मामले को संस्थान के ही एक कर्मचारी एवं आरटीआई कार्यकर्ता सुजीत स्वामी ने उठाया था। सुजीत स्वामी ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी कि किन प्रावधानों के तहत आईआईटी में प्राइवेट स्कूल खोला गया। इस स्कूल का क्या लाभ संस्थान को मिल रहा है। जवाब में आईआईटी मंडी ने कहा था कि इस प्रकार की कोई जानकारी उनके पास मौजूद नहीं है।

अब सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट के मामले को उठाने पर सुजीत स्वामी ने खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि अगर आईआईटी आरटीआई में जवाब दे देती तो शायद उन्हें कोर्ट के पास जवाब दायर नहीं करना पड़ता। उन्होंने कहा कि प्रबंधन की जिद्द के कारण आज प्रतिष्ठित संस्थान का नाम देश भर में बदनाम हो रहा है।

ये है मामला

केंद्र सरकार ने साल 2016 में सर्कुलर जारी करके कहा था कि आईआईटी संस्थान के परिसर में कोई भी प्राइवेट स्कूल नहीं खोला जा सकता। यदि खोला गया है तो उसे तुरंत प्रभाव से बंद किया जाए। लेकिन आईआईटी मंडी ने इन आदेशों के बाद भी अप्रैल 2017 में यहां माईंड ट्री नाम से एक प्राइवेट स्कूल खोल दिया। आईआईटी ने करोड़ों की लागत से बने भवन को स्कूल को बीना किराए के दे रखा है और यहां पर कर्मचारियों के परिजन ही अपनी सेवाएं भी दे रहे हैं।