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बिजली बोर्ड निजीकरण नीति पर गुस्साए कर्मचारी, सरकार को दी आंदोलन की चेतावनी

समाचार फर्स्ट डेस्क |

प्रदेश विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि बोर्ड के अस्तित्व से छेड़छाड़ की गई तो सरकार को आंदोलन का सामना करना होगा। यूनियन ने धर्मशाला में सम्मेलन का आयोजन कर इस बाबत चेताया है। सम्मेलन की अध्यक्षता यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाडा ने की।

खरवाडा ने कहा कि 1996 से लगातार बिजली क्षेत्र में बिजली सुधारों के नाम पर ही बिजली बोर्डों को विभाजित करके निगमीकरण, निजीकरण की नीति अपनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि आज देश में केवल दो ही बिजली बोर्ड काम कर रहे हैं। अब इन बोर्डों को फिर से तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड को स्थापित करने में हजारों कर्मचारियों ने अपनी जान जोखिम में डाली है। ऐसे में बोर्ड के स्वरूप से छेड़छाड़ को किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 18 हजार बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड में आउटसोर्स पर काम कर रहे हजारों कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर सरकार से नीति बनवाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड के प्रबंधन से 48 श्रेणियों के कर्मचारियों के वेतन की विसंगतियों को दूर करने के लिए 30 नवंबर 2013 को जारी आर्डर नंबर 10 तत्काल वापस लिया जाना

चाहिए। मागों की अनदेखी जारी रही तो 17 दिसंबर को ऊना में होने वाली यूनियन की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सभी मुद्दों पर चर्चा करने के बाद आंदोलन की आगामी रणनीति तैयार की जाएगी। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर सरकार उनकी मांगों व बोर्ड को बर्खास्त करने के निर्णय पर विचार नहीं करती है तो बिजली बोर्ड के 18 हजार कर्मचारी सड़कों पर उतरकर रोष प्रदर्शन करेंगे।