25 मिनट के बाद जैसे ही सदन की कार्यवाही फ़िर से शुरू हुई विपक्ष ने सदन के अंदर फिर से नारेबाज़ी शुरू कर दी। इतने में विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के नेता को बोलने की इजाज़त दी जैसे ही मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि गवर्नमेंट स्पॉन्सर गुंडागर्दी नहीं चलेगी। लेकिन बीच में राकेश पठानिया ने बोलना शुरू कर दिया और सदन का माहौल गरमा गया। अध्यक्ष ने सब शांत कर दिया तब मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कल निंदा प्रस्ताव मुख्यमंत्री के कहने पर निंदा प्रस्ताव लाने की कोशिश की गई।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बीते रोज कहा की उनको विपक्ष के नेता बीजेपी ने ही बनाया है। लेकिन ये कोई ख़ैरात नहीं दी है यदि वह उस नोटिफिकेशन को रद्द करना चाहें तो कर सकते हैं। विपक्ष सरकार के साथ चलने को तैयार है लेकिन सत्ता पक्ष सदन में विपक्ष की बात नहीं सुनना चाहता है।
अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार सोचती है कि वह उन्हें डरा धमका कर चुप करा लेंगे तो ऐसा नहीं होगा। उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री से पूछा कि आज वह नियमों की दुहाई दे रहे हैं लेकिन उस वक़्त नियम कहां थे जब सुरेश भारद्वाज अध्यक्ष की सीट पर बैठ गए थे। इतना ही नहीं स्पीकर के सामने जाकर नारेबाज़ी करते थे।
इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उनका प्रयास रहता है कि वह सभी को उचित समय दिया जाए। विपक्ष का ये आरोप भी निराधार है कि अध्यक्ष सरकार के कहने पर काम कर रहे हैं। विधानसभा नियमों के तहत चलती है। लेकिन जो मामले न्यायालय में चल रहे हैं उन पर चर्चा नहीं हो सकती है। इसलिए सभी विधायकों को बोलने का समय दिया जाता है। सबसे अनुरोध है कि वह सदन की गरिमा का ध्यान रखें।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से ख़ारिज किया और कहा विपक्ष का ये कहना गलत है की ये सरकार प्रायोजित गुंडागर्दी है। जिन शब्दों का प्रयोग विपक्ष कर रहा है वह सही नहीं है। सदन का हर सदस्य ज़िम्मेदार होता है इसलिए शब्दों का सही चयन होना चाहिए। भावनाओं को व्यक्त करते नाराजगी हो जाती है इसको छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कभी नहीं कहा कि विपक्ष के नेता का पद ख़ैरात में दिया। नशे पर चर्चा भी नियम के तहत ही होगी। अतः सबको एक साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए।