शादियों का सीजन आते ही बाजारों में रोनक हो उठती है। साथ ही मैरिज पैलेस, साराएं और कई पवित्र स्थलों पर शादियों का जमावड़ा देखने को मिलता है। इसी बीच देखा जाए तो भारत में शादियों पर दिल खोलकर खर्च करने का ट्रेंड है। साथ ही इसी कड़ी में मेहमान नवाजी में कोई कमी न रह जाए इस बात का भी पूरा ख्याल रखा जाता है। लेकिन बता दें कि अब शादी में किए गए खर्च पर सरकार की नजर होगी। साथ ही शादी के आयोजन में खाने की बर्बादी भी अब नहीं चलेगी।
गौरतलब है कि शादियों में खाने को लेकर जो बर्बादी होती है इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार पॉलिसी बनाने जा रही है। सरकार मेहमानों की संख्या को लेकर एक पॉलिसी बनाएगी, ताकि शादियों में फिजूलखर्ची न हो और न ही खाने की बर्बादी की जा सके। यह बात वीरवार को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कही। दिल्ली के मुख्य सचिव अजय कुमार देव ने कोर्ट को बताया कि हम शादियों में आने वाले मेहमानों की संख्या को सीमित कर सकते हैं। इसके अलावा फूड सेफ्टी और स्टैंडर्ड एक्ट के तहत कैटरर और बेसहारा लोगों को खाना उपलब्ध कराने वाले एनजीओ के बीच डील कर सकते हैं।
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह एक ऐसी पॉलिसी बनाने पर विचार कर रही है, जिससे शादियों में किए जाने वाले खर्चों को कम किया जा सकता है। सरकार की ओर से इस संबंध में कोर्ट को प्लान भी बताया गया है।
खाने की सामग्री की क्वालिटी की हो जांच
अजय कुमार देव के मुताबिक दिल्ली में होने वाली बहुत सी शादियों में खाना बर्बाद होता है, ऐसे में एनजीओ के साथ डील करके खाना वहां भेजा जा सकता है जिससे खाने की बर्बादी नहीं होगी। वहीं कोर्ट ने शादी में हो रही खाने और पानी की बर्बादी और क्वॉलिटी पर चिंता जाहिर की। कोर्ट ने कहा, ‘मुख्य सचिव कह रहे हैं कि शादी समारोहों में बासी खाने के सामान का इस्तेमाल होता है। ऐसे समारोहों में परोसे जाने वाली खाद्य सामग्री की गुणवत्ता के निरीक्षण की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।’ कोर्ट ने दिल्ली सरकार के सचिव अजय कुमार देव से अगले 6 हफ्ते के अंदर इस मामले में पॉलिसी तैयार करने के लिए कहा है।