भारतीय क्रिकेट टीम के इकलौते चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव ने काफी कम समय में अपने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया और वो भारतीय क्रिकेट के राइजिंग स्टार हैं लेकिन क्या आपको पता है कि उनकी जिंदगी में एक वक्त ऐसा आया था जब उन्होंने सोचा था कि वो खुद को खत्म कर लें यानी आत्महत्या कर लें। आखिर ऐसा किया हुआ था कि कुलदीप ऐसा सोचा था आइए जानते हैं।
कुलदीप जब 13 साल के थे तो उन्हें सेलेक्टर्स ने उत्तर प्रदेश अंडर 15 टीम में शामिल करने से मना कर दिया था। इसके बारे में कुलदीप ने कहा कि मैंने टीम में चुने जाने के लिए काफी मेहनत की थी लेकिन जब मुझे टीम में जगह नहीं दी गई तो तनाव में मैंने ये निश्चय किया कि मैं आत्महत्या कर लूं। हालांकि ये उस वक्त की नजाकत थी जिसने मुझे ऐसा सोचने पर मजबूत किया।
कुलदीप ने ये भी बताया कि वो एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे लेकिन उनके कोच ने उन पर दबाव डालते हुए उन्हें स्पिन गेंदबाज बनाया। जब मैंने कुछ गेंदें (चाइनामैन) फेंकी तो मुझे कोच ने कहा कि तुम इसी तरह से गेंद फेंकने की आदत डालो। हालांकि मुझे ये पता भी नहीं था कि मेरी गेंदबाजी में कुछ खास है और कुछ अलग है।
कुलदीप ने बताया कि उनके पिता में हमेशा उनका उत्साह बढ़ाया और क्रिकेट को संजीदगी से खेलने की बात कही। मैं पढ़ाई में काफी अच्छा था और क्रिकेट सिर्फ मनोरंजन के लिए खेलता था। मैं क्रिकेट को कभी भी अपना प्रोफेशन नहीं बनाना चाहता था। सच कहूं तो मेरे पिता चाहते थे कि मैं क्रिकेट खेलूं और उन्होंने ही मुझे कोच के पास भेजा।
कुलदीप ने इसी वर्ष मार्च में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ धर्मशाला में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी। वनडे में उन्होंने हैटट्रिक लेकर तहलका मचा दिया था साथ ही तीसरे ऐसे भारतीय क्रिकेटर बने जिन्होंने हैटट्रिक विकेट लिए थे। उन्होंने अब तक 2 टेस्ट में 9 विकेट, 12 वनडे में 19 विकेट और 5 टी20 में 6 विकेट लिए हैं। कुलदीप इस वक्त भारतीय टीम में आए जिस वक्त आर. अश्विन और जडेजा जैसे स्पिनर टीम में पहले से ही मौजूद थे। इसके बावजूद उन्होंने टीम में अपनी जगह बनाई।