मौसम में परिवर्तन होते ही रेणुका झील में 300 के करीब विदेशी परिंदे यहां पहुंचे हैं, लेकिन इस बार पहली बार तीन नई प्रजाति के परिंदे यहां पहुंचे हैं। इनमें रेड क्रेस्टेड पोचड, व्हाइट ब्रेस्टेड वाटर हेन और स्टिक बर्ड किंगफिशर शामिल हैं। विदेशी परिंदों के यहां आते ही रेणुका झील गुलजार हो चुकी है।
गौरतलब है कि वन्य प्राणी विभाग ने इनकी सुरक्षा के लिए एक दर्जन सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। ये परिंदे 3 महीने यहां बिताने के बाद फरवरी के आखिरी हफ्ते में स्वदेश लौट जाते हैं। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक इस साल 12 प्रजातियों के 286 परिंदे रेणुका में विचरण कर रहे हैं।
इनमें मैलाड 14, कॉमन कूट 23, मोरहन 220, रेड क्रिस्टिड पोचर्ड 1, कॉमन पोचर्ड 1, इंडियन मिडिट इग्रिट 2, लिटिल इग्रिट 1, ग्रेट कारमोरेंट 4, लिटिल कारमोरेंट 1, व्हाइट ब्रिस्टिड वाटर हेन 10, इंडियन मोरहन 8 और स्टिक ब्रिड किंग फिशर-1 शामिल हैं। वन्य प्राणी विहार रेणुका के आरओ अश्वनी कुमार ने बताया कि झील में पानी अधिक होने के कारण विदेशी परिंदों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है।
गोबिंदसागर झील में नहीं पहुंचे विदेशी परिंदे
बिलासपुर की गोबिंदसागर झील में इस बार विदेशी परिंदे नहीं पहुंचे। इससे पर्यावरण प्रेमी भी चिंता में हैं। हर साल इस झील में पिनटेल, सारस, मुरैन पनकौआ, कॉमन टेल जैसी विदेशी प्रजाति के पक्षियों का डेरा होता था। वन अरण्यपाल आरएस पटियाल ने बताया कि स्थानीय जलवायु और पानी की स्थिरता न होना इसका कारण है।
ऐसे हालात में पक्षियों को भोजन की कमी खलती है, जिससे वह दूसरे पड़ावों का रुख कर रहे हैं। परिंदे न आने के चलते विभाग ने इस बार रिपोर्ट भी तैयार नहीं की। करीब पांच हजार किलोमीटर दूर साइबेरिया में जब तापमान शून्य से चालीस डिग्री नीचे चला जाता है। तो ऐसे प्रतिकूल मौसम में दुर्लभ सारस और विभिन्न प्रजातियों के बहुरंगी पक्षी भारत और एशिया में पहुंचते हैं।