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मांगे न मानने पर मार्च 2019 के बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी

पी. चंद, शिमला |

प्रदेश भर में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में हड़ताल के चलते आर्थिक गतिविधियां थमी रहीं। राजधानी में लोग बुधवार सुबह अपना काम करवाने बैंक पहुंचे लेकिन बैंक स्ट्राइक की वजह से ग्राहकों को वापिस लौटना पड़ा। देश के लगभग 10 लाख बैंक कर्मचारी आज यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर 1 दिन की हड़ताल पर हैं। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर शिमला में भी बैंक कर्मचारियों ने 1 दिन की हड़ताल की और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन हिमाचल इकाई के संयोजक गोपाल शर्मा ने बताया कि केन्द्र सरकार लगातार बैंक कर्मचारियों का शोषण कर रही है। भारतीय बैंक संघ ने बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों की वेतन में बढ़ोतरी करने से साफ इंकार कर दिया है। जिसके चलते यूनियन में देशव्यापी हड़ताल की आज कॉल दी थी। केंद्र सरकार ने अगर बैंक कर्मचारियों की मांगों पर मार्च 2019 तक गौर नहीं किया तो पूरे देश के बैंक कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से भी गुरेज नहीं करेंगे। बैंक बंद होने से देश को जो आर्थिक नुकसान होगा उसके लिए केंद्र सरकार सीधे तौर पर जिम्मेदार होगी।

गोपाल शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार लगातार बैंकों को मर्ज कर रही है जिसको देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार जानबूझकर बैंकों का निजीकरण कर रही है। ताकि बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा दिया जा सके। बैंकों के जो आज हालात है उसका समाधान बैंकों को मर्ज करना नहीं है। केंद्र सरकार की कर्मचारी विरोधी नीति के चलते आज बैंक घाटे में है।

इसके अलावा बैंक यूनियनों की मांग है कि बैंकों का कार्यदिवस 6 दिन की जगह 5 दिन किया जाए। नई पेंशन नीति को बदलकर पुरानी व्यवस्था को लागू किया जाए। बैंक को थर्ड पार्टी के कामों से मुक्त किया जाए और उसे सिर्फ कोर बैंकिंग करने दिया जाए। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अधिकारियों को राष्ट्रीयकृत बैंकों की तर्ज पर पेंशन और अन्य लाभ दिया जाए।

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर बैंकों में पिछले हफ़्ते हड़ताल के बाद आज एक दिन की हड़ताल रखी गई। बैंक यूनियन ने प्रस्तावित विलय और वेतन संशोधन पर बातचीत को जल्दी निष्कर्ष पर पहुंचाने को लेकर पिछले 21 दिसंबर को भी हड़ताल की थी। किसी भी शाखा में कोई भी कार्य नहीं हुआ।