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एक बंगला, एक बाबू और कानून !

नवनीत बत्ता |

हिमाचल प्रदेश में एक कोठी है, जिसे मुख्य सचिव का आवास कहा जाता है । लेकिन वर्तमान में जो शख्स उस कोठी में रहते हैं वो सात आठ साल पहले प्रदेश के मुख्य सचिव हुआ करते थे । लेकिन इन सालों में  उन्होंने कोठी छोड़ी नहीं । जबकि नियम कहते हैं कि किसी भी अधिकारी के ट्रांसफर या रिटायरमेंट के महीने भर के अंदर सरकारी आवास को खाली करना होता है । लेकिन इतने सालों से एक ही बाबू कोठी में क्यों रह रहे हैं । इसका जवाब किसी के पास नहीं है ।

इस बीच बीएस फारका और विनीत चौधरी मुख्य सचिव बने । लेकिन उन्होंने इस कोठी पर दबाव नहीं बनाया । बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने पुराने कोठी को ही टाइप 9 और टाइप 10 के तौर पर डेवलप करवा लिया । अब  बीके अग्रवाल मुख्य सचिव बने हैं । बताया जा रहा है कि अब इस कोठी के अधिसूचना को ही सरकार खारिज करने जा रही है और इसके साथ ही नवनियुक्त मुख्य सचेतक नरेंद्र ब्रागता के नाम पर जारी कर दिया गया है । इसको लेकर जब GAD. के एडिशनल सेक्रेटरी मनोज तोमर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जो कोठियां ईयर मार्केट होती हैं। उनको किसी दूसरे अधिकारी को दिया भी नहीं जाता है और इस समय के अंदर उनको खाली भी करवाया जाता है । जब उनसे मुख्य सचिव के मकान के स्टेटस को लेकर पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इसके डिनोटिफाई करने की अधिसूचना को जारी कर दिया गया है । लेकिन आपको बता दें कि अभी तक यह अधिसूचना जारी नहीं हुई है।

यहां ये भी आप जान लें कि वर्तमान में इस कोठी का किराया 18 रूपये प्रति स्कवायर फीट के करीब है  औऱ ये कोठी चार हजार स्कावयर फीट से ज्यादा की है । नियम के मुताबिक अगर बाबू कोठी खाली नहीं करते तो सरकारी किराए के साथ 4 * मार्केट रेट के हिसाब से  इसका किराया सरकारी खजाने में जमा करवाना पड़ता है ।