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मोदी सरकार किसानों को बड़ी राहत देने की तैयारी में, सीमित रकम खाते में डालने पर विचार

समाचार फर्स्ट |

2019 के आम चुनावों से पहले मोदी सरकार किसानों को बड़ी राहत देने की तैयारी में है। इसके तहत तेलंगाना के केसीआर सरकार के मॉडल के मुताबिक केंद्र किसानों के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम के बारे में विचार कर रही है। इसे लेकर सरकार में कई दौर की वार्ता हो चुकी है। छोटे और सीमांत किसानों को बीज, खाद, कीटनाशक और मजदूरी जैसे खर्चों के लिए एक सीमित रकम सीधे उनके खाते में डालने पर विचार चल रहा है।

सूत्रों का कहना है कि इस तरह की स्कीम में करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस खर्च को केंद्र और राज्य सरकारें साझे तौर पर उठा सकती हैं। एक अधिकारी ने बताया कि यह एक राजनीतिक फैसला होगा। उनके मुताबिक इसके खर्च और तय समय में इसे लागू करना एक चुनौती हो सकती है लेकिन कई राज्यों में बीजेपी की सरकार होने से मोदी सरकार को मिल सकती है।

उन्होंने बताया कि इस मोर्चे पर कांग्रेस की सरकारों का भी समर्थन मिलेगा क्योंकि आखिरकार ये किसान समस्या को कम करने में मदद मिलेगी। हालांकि उन्होंने बताया कि अभी इस मामले में अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है। साथ ही सरकार दूसरे विकल्पों पर भी विचार कर रही है। इनमें से एक नीति आयोग की तरफ से सुझावा गया है। इस मीडियम टर्म स्ट्रैटिजी के मुताबिक अगर कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे गिरती हैं तो किसानों को सब्सिडी दी जा सकती है।

नीति आयोग के इस प्रस्ताव के मुताबिक हर किसान को अपने निकटम एपीएमसी मंडी में बुआई और फसल के रकबे को रजिस्टर कराना होगा। अगर फसल का बाजार भाव गिरता है तो किसानों एमएसपी और बाजार भाव के बीच के अंतर का अधिकतम 10 फीसदी तक डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की मदद से अपने आधार लिंक बैंक अकाउंट में पाने का अधिकारी होगा।

तेलंगाना की तर्ज पर मोदी सरकार ले सकती है फैसला

ऐसा माना जा रहा है कि तेलंगाना की तर्ज पर मोदी सरकार भी फैसला ले सकती है। हालांकि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) जैसी स्कीम की राह में कई अड़चनें हैं। इसके लिए सरकार को लैंड रिकॉर्ड हासिल करने में बड़े प्रयास रने होंगे। ऐसा महसूस किया जा रहा है कि किसानों के लिए मौजूदा योजनाओं से समस्या में राहत नहीं मिल रही है। यही वजह है कि किसानों को इनकम सपॉर्ट देने की जरूरत समझी जा रही है।