लोकसभा चुनावों से ठीक पहले प्रदेश कांग्रेस में छिड़ी जंग ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। पिछले कुछ दिनों से जारी बयानबाजी के बाद ये उम्मीद जताई जा रही थी कि नए चीफ के पदभार संभालने के बाद सब कुछ सामान्य हो जाएगा। यहां तक कि पार्टी प्रभारी रजनी पाटिल के इस दौरे में सबकुछ सामान्य होने की बात सामने आ रही थी। लेकिन, अस़ल में हुआ इसके ठीक उलट…।।
शिमला स्थित कांग्रेस कार्यालय 'राजीव भवन' आज एक ऐसे बवाल का गवाह बना, जिसकी उम्मीद श़ायद ही किसी ने की हो। मंच पर प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल की मौजूदगी के बावजूद कांग्रेस कार्यालय में जो हुआ वो आकल्पनीय था। कांग्रेस के कार्यकर्ता भरी सभा में पार्टी के अनुशासन को तार-तार करते नज़र आए। न वरिष्ठ नेताओं का मान, न ही पार्टी के नीति-नियम का डर। आख़िर इस बवाल की जरूरत क्या थी…??
दरअसल, पिछले दिनों में दो गुटों के बीच छिड़ी जंग में इस बार आर-पार की लड़ाई शुरू हो गई। दोनों ओर बैठे वरिष्ठ नेता और उनके कार्यकर्ताओं में नेतृत्व, अनुशासन और वर्चस्व भारी हो चुका है। हालांकि, ये सब नेता और कार्यकर्ता क्यों कर रहे हैं और किस होड़ में कर रहे हैं, ये तो राजनीतिक पंडित ही बता सकते हैं।
कांग्रेस पार्टी देश के सबसे पुरानी पार्टी है। कांग्रेस की पहचान, कांग्रेस का अनुशासन रहा है। अनुशासन के कारण ही पार्टी देश और प्रदेश में लंबे वक़्त तक सत्ता में रही है। लेकिन हिमाचल कांग्रेस में वक़्त के साथ हुए इस बदलाव ने पार्टी की साख़ पर बट्टा लगाया है। विपक्ष को बैठे बिठाये हमला बोलने का एक मौका दे दिया है। अग़र कांग्रेस अपने घरेलू झगड़े से बाहर नहीं आई तो आने वाला वक़्त कांग्रेस के लिए और भारी रहेगा।
कांग्रेसियों की ये कैसी एकजुटता?
यू तो अक्सर कांग्रेस के छोटे से बड़े नेता ये कहते नहीं थकते कि पार्टी में सब एक हैं, पार्टी एकजुट है और लोकसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज की जाएगी… लेकिन ये समझना मुश्किल है कि ये कैसी एकता कांग्रेसियों में है। जहां कांग्रेस कार्यकर्ता एक दूसरे के जानी दुश्मन बने बैठे हैं। हालांकि ये साफ़ है कि हंगामा करने वाले, गालियां देने वाले, कुर्सियां चलाने वाले कौन हैं…?? इनकी पहचान बहुत मुश्किल नहीं। तो क्या नए प्रदेश अध्यक्ष राठौर उन लोगों पर कोई सख़्त कार्रवाई करेंगे और हंगामा करने वालों को मैसेज देंगे, क्योंकि इसका ज़िक्र उन्होंने बवाल के बाद कार्यालय में कर दिया था।
पहले भी हो चुका है ऐसा कारनामा
ऐसा पहली बार नहीं है कि इस तरह का लहूलुहान वाला दृश्य हिमाचल में देखने को मिला है। इससे पहले भी वर्चस्व की लड़ाई के लिए इस तरह के संघर्ष हो चुके है, लेकिन सोशल मीडिया के इस जमाने में कौन सही है कौन ग़लत, कैमरे की नज़र से भले ही बच जाते लेकिन मोबाइल की नज़र से नहीं बच सकता है।
शिमला में रैली से पढ़ाया एकजुटता का पाठ
कार्यालय में बवाल से पहले ही प्रभारी रजनी पाटिल ने शिमला में हुई रैली में कार्यकर्ताओं को एकजुटता का पाठ पढ़ाया था। यही नहीं सभी वरिष्ठ नेताओं ने भी पार्टी को एकजुट होने का संदेश दिया। हालांकि, यहां सुक्खू नहीं आ पाए, क्योंकि वे इलाज के लिए IGMC गए थे। लेकिन रैली के कुछ ही घंटे बाद जब प्रभारी रजनी पाटिल कांग्रेस कार्यालय में प्रेस वार्ता करने पहुंची तो वहां इस बवाल ने कांग्रेस के सारा किया कराया खू में डाल दिया।
कांग्रेस कार्यालय में ताज़ा संघर्ष का घटनाक्रम ये दर्शाता है कि लोकसभा चुनावों तक ये जंग जारी रह सकती है। अपने घर ही इस तरह का युद्ध हो रहा है तो 2019 का महासंग्राम कैसे लड़ा जाएगा। इस तरह के कई सवाल है जो ताज़ा घटनाक्रम के बाद उठ रहे है। लड़ाई जवान कंधों और बूढ़े कंधों के बीच की है अब देखना ये है कि वर्चस्व की जंग कांग्रेस पार्टी को कहां ले जाएगी।