सांसदों की सक्रियता को लेकर हमेशा ही आम जनता में खासी चर्चा रहती है और अब क्योंकि लोकसभा के चुनाव नजदीक हैं तो इनकी सक्रियता ना सिर्फ राष्ट्रीय सतर पर बल्कि इलाकों में विकास के मामलों में भी तुलनात्मक रहती है। आज हम आपको प्रदेश को चारों सांसदों के बारे में बताने जा रहे हैं कि इन्होंने अपने 5 साल के कार्यकाल में लोकसभा में कितने सवाल उठाए और सरकार के कितने डिबेटों का हिस्सा बने।
सबसे पहले हम बात करते हैं प्रदेश के सबसे सक्रिय और बुजुर्ग नेता सांसद शांत कुमार की। सांसद शांता कुमार ने अपने 5 साल के पूरे कार्यकाल में लोकसभा में सिर्फ 13 सवाल पूछे हैं और उन्होंने सरकार की तरफ से किसी भी डिबेट में हिस्सा नहीं लिया। 5 साल में लोकसभा में अगर किसी ने सबसे कम सवाल पूछे हैं तो वे हैं शांता कुमार। वहीं इसके बाद दूसरे नंबर पर मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा आते हैं जिन्होंने लोकसभा में अपने 5 साल के कार्यकाल में 69 सवाल पूछे और इसके साथ ही उनके संबंध में हैरानी देखने वाली बात यह थी कि 2018 के बजट सत्र में उनकी उपस्थिति लोकसभा में सिर्फ 55 फ़ीसदी की रही।
वहीं, शिमला के सांसद वीरेंद्र कश्यप ने अपने लोकसभा के इन 5 सालों के दौरान 60 सवाल पूछे और अलग-अलग तरह के 61 डिबेट में हिस्सा भी लिया । लेकिन अगर सबसे रोचक तथ्य किसी के 5 साल के कार्यकाल में बनकर निकल कर आए हैं तो वह सांसद अनुराग ठाकुर के हैं। इन्होंने ना सिर्फ प्रदेश के लिए मजबूती के साथ अपनी उपस्थिति दिखाई बल्कि इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश का पक्ष भी अलग-अलग मुद्दों पर गंभीरता के साथ रखा। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 80 सवाल प्रदेश और देश से संबंधित योजनाओं को लेकर पूछे और साथ ही 79 डिबेट का भी संसद में हिस्सा बने।
इतना ही नहीं बल्कि 8 प्राइवेट मेंबर बिल्स भी उनके माध्यम से लोकसभा में पेश किए गए हैं। लोकसभा में हिमाचल से वो एक ऐसे सांसद हैं जिन्हें 8 बिल पेश करने का मोका मिला है । इस तरह से ये कहा जा सकता है कि मोदी का उम्र का फार्मूला भी संसद में कहीं ना कहीं जरूर काम कर रहा है और 4 हिमाचल के इन चार सांसदों कि तुलना भी ये साफ करती है कि युवा की परफॉरमेंस हमेशा बेहतर रहती है।