सुप्रीम कोर्ट अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिये इसे मध्यस्थता के लिये सौंपने के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले को मध्यस्थता के जरिए हल किया जाएगा। मध्यस्थता के लिए तीन लोगों के पैनल का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता रिटायर जस्टिस खलीफुल्लाह करेंगे और आधायात्मिक धर्मगुरू श्री श्री रविशंकर और श्री राम पंचू भी इसमें शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए बने पैनल को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 8 हफ्तों का समय दिया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केस की गंभीरता को देखते हुए इसकी मीडिया रिपोर्टिंग पर भी रोक लगा दी है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को इस मुद्दे पर विभिन्न पक्षों को सुना था। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
शीर्ष अदालत ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था।