कांगड़ा में बीजेपी की हुंकार रैली के बाद पीएम नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ते हुए दिखाई दी। दरअसल, रैली खत्म होने के बाद मैदान पर भारी मात्रा में प्लास्टिक का कूड़ा-करकट फैला हुआ पाया गया। जबकि, हिमाचल में प्लास्टिक पूरी तरह बैन है और इस नेक काम को शुरू करने वाली बीजेपी की ही तत्कालीन सरकार थी।
लेकिन, लगता है कि बीजेपी के ही लोगों पर स्वच्छता अभियान का असर नहीं है। आज के दौर में जब हर युवा बिस्किट के रैपर तक खाकर जेब में रखने का शौक पाल रहा है, वहीं बीजेपी के बड़े सम्मेलनों में इसका बिल्कुल भी ख़्याल नहीं रखा जा रहा। गौर करने वाली बात यह है कि रैली स्थल पर कई तरह के हाई-प्रोफाइल इंतजाम किए गए थे, लेकिन डस्टबीन दूर-दूर तक नसीब नहीं था।
वैसे तो 'मन की बात हो' या अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन…हर जगह प्रधानमंत्री सफाई अभियान को देश की सबसे बड़ी मुहिम बताते हैं। महात्मा गांधी के सपनों के देश में स्वच्छता को बड़ा मसला करार देते हैं। इस मुहिम के लिए करोड़ों रुपये खर्च भी किए जा रहे हैं। लेकिन, उन्हीं की पार्टी के बड़े सम्मेलन में स्वच्छता का पैमाना जीरो साबित हो रहा है।
हालांकि, देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के वरिष्ठ नेता अक्सर सफाई अभियान को लेकर मीडिया की सुर्खियां बनते रहे हैं। अच्छा रहता कि रैलियों के आयोजन में भी स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा जाता और डस्टबीन का प्रयोग बड़ी मात्रा में किया जाता।