सेना में भर्ती होने के लिए देश भर में लडकों को तैयारी करते देखा जा सकता है लेकिन तपती घूप में सैना में भर्ती की तैयारियों के लिए पसीना बहाती लड़कियों को देखकर कर क्या कहिएगा। सिरमौर जिले के दूरदराज शिल्ला गांव की डेढ दर्जन से अधिक लड़कियां सैना में भर्ती की तैयारियां कर रहीं हैं। इन लड़कियों का जज्बा लोगों में चर्चा और युवा वर्ग के लिए प्रेरणा का विषय बन गया है।
शिल्ला गांव की छोरियां मशहूर फिल्म के इस मशहूर डायलॉग 'म्हारी छोरियां छोरों से कम है के' को चरित्रार्थ कर रही हैं। देश सेवा के जज्बे से लबरेज शिल्ला गांव की लडकियां तपती घूप में सेना भर्ती के लिए पसीना बहा रहीं हैं। शिल्ला गांव की 15 लडकियां 20 लडकों के साथ रोज 6 घंटे के कडे़ प्रशिक्षण में शरीर को तपा रहीं हैं।
इन जांबाजों को पंजाब रेजिमैंट से एसीपी हवलदार पद से रिटायर्ड पूर्व सैनिक कर्म सिंह प्रशिक्षण दे रहे हैं। कर्म सिंह इन्हें न सिर्फ सेना मे भर्ती की तैयारी करवा रहे हैं बल्कि सेना की ट्रेनिंग के पेट्रन का कडा प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। शिल्ला गांव की लडकियों का सेना में भर्ती होने का जज्बा और तैयारियां देख कर हर कोई हतप्रभ है।
पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से दूर शिल्ला गांव की लडकियां देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के देश सेवा की भावना से प्रभावित हैं और उन्हीं की प्रेरणा से देश सेवा के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की तैयारियों में जुटी गई हैं। ग्रामीण परिवेश में हालात प्रशिक्षण के अनुकूल नहीं है। गांव में न खेल मैदान है और न कोई जिम।
यहां युवाओं के पास अगर कुछ है तो इन देश सेवा का जज्बा और इसके लिए कुछ भी कर गुजरने का हौंसला। इसी हौंसले और जज्बे को अपनी ताकत बना कर यह नौजवान सडक, घासनियों और अस्पताल के बरामदे में कडा प्रशिक्षण ले रहे हैं।