सुप्रीम कोर्ट ने आज समाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को 15 अक्टूबर तक के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की है। साथ ही कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस से मामले से जुड़े जरूरी दस्तावेज पेश करने को कहा है। पुणे के भीमा कोरेगांव जिले में हिंसा भड़काने के लिए 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद पर आरोप लगा था। इसके बाद जनवरी 2018 में इसी मामले में नवलखा और चार अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी।
महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में फैसला सुनाए जाने से पहले उसका पक्ष भी सुने जानी की याचिका दायर की है। गौतम नवलखा ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में अपने खिलाफ दर्ज़ एफआईआर खारिज करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। नवलखा की इस याचिका को हाईकोर्ट ने 13 सितंबर को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत जांच की जरूरत है। इसके बाद हाईकोर्ट ने नवलखा की गिरफ्तारी पर तीन सप्ताह की रोक लगा दी थी ताकि वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उसके फैसले को चुनौती दे सकें।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस रविंद्र भट ने वीरवार को इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। उनसे पहले सुप्रीम कोर्ट के चार और जज नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर चुके थे। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने 30 सितंबर को मामले की सुनवाई से इंकार कर दिया था। इसके बाद 1 अक्टूबर को जस्टिस एनवी रमन, आर सुभाष रेड्डी और बीआर गवई ने भी इस मामले की सुनवाई कर रही बेंच से खुद को अलग कर लिया था। हालांकि, किसी ने भी इस मामले की सुनवाई से अलग होने का कारण नहीं बताया है।