जिला सिरमौर में आज भी पुरातन काल में प्रयोग होने वाले घराट यानि पन चक्की से अनाज को पीसा जाता है। किसान अपने पौष्टिक आहर आनाज गेहूं, मक्की, सत्तू, मडवा, जौ का घराट से पिसवाकर ही सेवन करते हैं। पुरातन काल से जब घराट का अविष्कार हुआ, तो किसानों ने घराट बनाने शुरु किये। पौराणिक काल में हाथ से पत्थर के ऊपर पत्थर रख कर आनाज को पीसा जाता था। घराट मालिक रघुवीर सिहं चौहान ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में कई जगह घराट खड्ड और नदी किनारे में अभी भी जीवित हैं, जिससे किसान खुश हैं। घराट से पीसा गया आनाज शरीर के लिए लाभदायक होता है।
गौरतलब है कि किसान हल्दी मिर्च मसाले को भी घराट में पिसवाते हैं बताया जाता है कि जल देवता के रूप में घराट को अन्नपूर्णा माना जाता है। घराट मालिक हर सक्रान्ति और दिपावली को घराट की पूजा अर्चना करते हैं। जिससे अन्न में बरकत होती है। घराट के तली का पत्थर और पूड का पत्थर, लकड़ी का चर्खा, पाईप दार नाला पूड घुमाने में तॉवा नाम से लगाया जाता है जो ऊपरला पूड घुमाने में सहायक होता है। आनाज को कम ज्यादा करने के लिए शवाश का भी प्रयोग किया जाता है।