लाहौल-स्पीति में विध्वंसकारी विकास का विरोध बड़े स्तर पर होना शुरू हो गया है। सेव संस्था ने लाहुल-स्पीति में मंजूर हुए 16 प्रोजेक्टों के खिलाफ मोर्चा खोला है और सरकार से सवाल पुछे है कि आखिर हिमालय के ग्लेशियरों को तबाह करने का मौसादा क्यों तैयार किया जा रहा है जो यहां के लोगों को भी स्वीकार नहीं है। विरोध के बावजूद शीत मरुस्थल लाहुल-स्पीति में 16 प्रोजेक्ट कैसे मंजूर हुए जिससे इको और धार्मिक टूरिज्म भी तहस-नहस होगा। सेव संस्था ने कहा कि कबायली लोग चिंतित है और सरकार प्रोजेक्टों को मंजूरी दे रही है।
यहां कुल्लू में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए सेव संस्था के अध्यक्ष प्रेम कटोच ने कहा कि सरकार बताएं कि पैसा एक्ट और फारेस्ट राइट एक्ट के तहत शैडयूल 5 में रहने वाले लोगों को पूछने का संवैधानिक अधिकार है कि सरकार को प्रोजेक्टों की मंजूरी के लिए गांव के लोगों की एनओसी लेनी होगी। कहीं सरकार इन एक्टों कानूनी पेचिदगियों को छुपा तो नहीं रही है। उन्होंने कहा कि 29 दिसंबर से विरोध शुरू होगा। इस दिन ट्रायवल भवन भुंतर में किन्नौर पर बनाई गई डाक्यूमेंटरी 'हो गई पीर पर्वत सी' का स्क्रिनिग होगी और बाद में पूरे लाहुल-स्पीति में जागरूकता अभियान शुरू होगा। इस जागरूकता अभियान में हिमधरा पर्यावरण संस्था भी सहयोग करेगी।
गौर रहे कि दुनिया के कई देशों की प्यास बुझाने बाले पश्चिमी हिमालय की तबाही का मौसदा तैयार हो चुका है। लाहौल स्पीति में सरकार ने 16 जल विधुत परियोजना को हरी झंडी दे दी है। यही नहीं ग्लोवल इन्वेस्टर मीट में पांच परियोजनाओं के एमओयू भी साइन हुए हैं। प्रदेश में एक मात्र जिला ऐसा बच्चा था जहां जाकर लोग ताजी हवा, सुंदर एवं स्वच्छ वातावरण में सांसे ले सकते थे। यही नहीं इको और धार्मिक टूरिज्म के लिए भी यह जिला देश भर में मिसाल बना हुआ है लेकिन अब इस सुंदर स्थल पर भी तबाही की काली नजर पड़ गई है। यहां की जनता के विरोध के बावजूद परियोजनाओं का खाका तैयार कर लिया गया है और यहां के कई गांवों को विस्थापन का दंश भी झेलना पड़ेगा। हैरानी इस बात की है कि जिस जिला के ग्लेशियर कई देशों की प्यास बुझाते हैं जिला के ग्लेशियरों के मुहाने पर प्रोजेक्ट प्रस्तावित है।
लाहौल में परियोजनाओं का हो रहा विरोध
उधर, लाहौल में परियोजनाओं का कड़ा विरोध हो रहा है और लाहुल-स्पीति के लोग नहीं चाहते है कि यहां का पर्यावरण खराब हो और इको व धार्मिक टूरिज्म भी प्रभावित हों। लाहौल स्पीति से सेव लाहुल के अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त उप पुलिस अधीक्षक प्रेम चंद ने जनजातीय हक हकूकों को बचाने की गुहार लगाई और इन बड़ी परियोजनाओं के दुष्प्रभाव और खतरों से बचने के लिए लोगों को आगे आने को कहा। लाहौल-स्पीति के प्रसिद्ध समाजसेवी और पर्यावरण प्रेमी डा. प्रेम दीप लाल जो लगातार इस मुहिम में जुड़े हैं और राज्य सरकार और केंद्र सरकार से लगातार पत्राचार कर इन परियोजनाओं को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। लाहौल-स्पीति और पांगी के लोगों को एक ही छत के नीचे आकर अपना विरोध का स्वर मुखर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी एक जिला में इको-धार्मिक टूरिज्म और प्रोजेक्ट दोनों एक साथ नहीं चल सकते।
उन्होंने कहा कि लाहौल-स्पीति एक मात्र ऐसा जिला बचा है जहां इको और धार्मिक टूरिज्म का मॉडल बन सकता है। इसके अलावा यहां का वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता बरकरार हैं। इसलिए इस जिला को प्रोजेक्ट रहित रखना चाहिए। प्रोजेक्ट बनेंगे तो यहां का बातावरण तो बिगड़ ही जायेगा और धार्मिक टूरिज्म भी समाप्त होगा। इसके अलावा ग्लेशियों के पिघलने की स्पीड बढ़ेगी और लाहुल के नाजुक पहाड़ और ग्लेशियर निर्माण कार्य से जर्जर हो जाएंगे जो भविष्य में तबाही का कारण बनेगें। बहरहाल लाहुल में चारों तरफ परियोजनाओं का विरोध हो रहा है और दूसरी ओर प्रदेश सरकार धड़ाधड़ परियोजनाओं के एमओयू साइन करवा रही है।