चुनावों में राजनीतिक दल लाखों युवाओं को रिझाने के लिए खुद तो खूब दांवपेंच खेलते हैं, पर जब बारी चुनाव की आती है तो युवा चेहरों को मैदान में जगह नहीं मिल पाती। इस बार फिर चुनावों में दोनों पार्टियों ने युवाओं को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है। हिमाचल में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने सिर्फ पांच- पांच युवा प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। दोनों पार्टियों ने अपने बुजुर्ग नेताओं पर ही विश्वास जताया है।
हिमाचल के 43 फिसदी युवा वोटर हैं जिनकी उम्र 39 साल से कम है बावजूद इसके बीजेपी और कांग्रेस ने बुजुर्ग नेताओं पर ही दांव खेला है। बीजेपी के युवा प्रत्याशियों में रोहडू से शशि बाला की उम्र 35 साल है, बंजार से सुरेंद्र शौरी 37, चुराह से हंसराज 34 और नाचन से विनोद कुमार 36 शामिल हैं, जबकि कांग्रेस के युवा प्रत्याशियों में शिमला ग्रामीण से विक्रमादित्य सिंह, जयसिंहपुर से यादविंद्र गोमा 31, बंजार से आदित्य विक्रम 32, कसौली से विनोद सुल्तानपुरी 38 और रेणुका से विनय कुमार 39 साल के हैं।
कांग्रेस के 11 कैंडीडेट्स 70 के पार हैं और 12 नेताओं की उम्र 60 से अधिक है। वहीं बीजेपी में दो कैंडीडेट्स 70 के पार हैं और 15 नेताओं की उम्र 60 से अधिक है। हिमाचल में 43.27 फीसदी वोटर 18 से 39 साल की आयु के बीच में हैं। कुल 49,05,677 मतदाताओं में से 24,96,967 मतदाता युवाओं की श्रेणी में हैं। फिर भी दोनों राजनीतिक पार्टियों का युवाओं को टिकट न देना साबित करता है कि युवाओं को सिर्फ चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।