कोटा के जे.के.लोन अस्पताल में दिसंबर में 100 बच्चों की मौत को लेकर मामला सामने आया है। यहां बच्चों की मौत का मामला कोटा से लेकर दिल्ली तक पहुंचा गया है। अस्पताल में एक-एक बेड पर दो से तीन बच्चों को रखा है। जब अस्पताल में भर्ती बच्चों के परिजनों से बात की तो दो महिलाओं ने रोते हुए बताया कि उनके बच्चों को सोमवार शाम तक जमीन पर ही सोने का स्थान दिया गया था, जबकि उन्हें निमोनिया है। मंगलवार को इन बच्चों को अन्य बच्चों के साथ बेड पर जगह दी गई।
इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बच्चों की मौत के मामले में राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गैलेरिया को कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिन में रिपोर्ट मांगने के साथ ही कोटा जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी बीएस तंवर को 3 जनवरी को दिल्ली आयोग के कार्यालय को तलब किया है।
बच्चों की मौत का मामला सामने आने के बाद जांच के लिए कोटा भेजे गए जयपुर के एमएमएस अस्पताल के दो विशेषज्ञ चिकित्सकों डॉ. अमरजीत मेहता और डॉ. रामबाबू शर्मा ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कह कि तेज सर्दी और ऑक्सीजन पाइप लाइन नहीं होने के कारण इन बच्चों की मौत हुई। दोनों डॉक्टर्स ने कहा कि अस्पताल के नियो-नेटल आईसीयू में ऑक्सीजन की पाइप लाइन नहीं है, यहां सिलेंडरों से ऑक्सीजन की सप्लाई होती है। ऐसे में इंफेक्शन बच्चों की मौत का कारण हो सकता है। उन्हें अस्पताल प्रशासन ने बताया कि तेज सर्दी के बीच कुछ बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, इसलिए ठंड भी बच्चों की मौत के कारणों में एक है।